Friday, January 21, 2011
Wednesday, January 19, 2011
New Multiple
आपकी किसी पार्टी का विडियो आ गया है और आप उसे अपने दोस्तों को भेजना चाहते हैं। मगर आपकी ई-मेल सेवा से बड़े साइज की फाइल्स नहीं जा सकती हैं। दरअसल सभी ई-मेल सेवाओं में इसके लिए एक सीमा तय है। हॉटमेल और रीडिफ मेल में यह दस एमबी है तो इंडियाटाइम्स, याहू और गूगल में बीस एमबी। लेकिन आप बड़ी फाइल्स को कुछ वेबसाइट्स पर मौजूद फाइल ट्रांसफर सर्विसेज के जरिए दूसरों को भेज सकते हैं। यह प्रोसेस तीन भागों में पूरा होता है। पहले में आप किसी फाइल ट्रांसफर साइट की मेंबरशिप लेकर उस पर बड़ी फाइल अपलोड करते हैं। इसके बाद रिसीवर को ई-मेल से फाइल का डाउनलोड लिंक भेजा जाता है जिसके बाद वह उस लिंक को क्लिक कर फाइल अपने कंप्यूटर में डाउनलोड कर सकता है। चूंकि फाइल्स ई-मेल के बजाय थर्ड-पार्टी वेबसाइट के जरिए भेजी गई है इसलिए आपका मेलबॉक्स भी भरने से बच जाता है।
yousendit.com
यू सेंड इट की सेवाएं दो तरह की हैं - फ्री और प्रफेशनल। अगर आपकी जरूरत 100 एमबी तक है तो आप आराम से फ्री वर्जन का इस्तेमाल करते हुए इंटरनेट पर अपनी फाइल्स दूसरों को भेज सकते हैं। प्रफेशनल में फाइल का साइज दो जीबी तक जा सकता है, लेकिन उसके लिए फीस लगती है। डेस्कटॉप ऐप्लिकेशंस और ब्राउजर प्लग-इन्स के जरिए यह सेवा फाइल ट्रांसफर को बहुत आसान बना देती है। आप अपने ई-मेल को खोले बिना, यहीं से दूसरों को डाउनलोड लिंक ई-मेल कर सकते हैं। फ्री अकाउंट में आपकी फाइल्स सात दिनों तक स्टोर करके रखी जाती है। महीने में एक जीबी से ज्यादा फाइल ट्रांसफर नहीं की जा सकती।
send6.com
सेंड 6 एफटीपी टेक्निक पर काम करती है। इसके फ्री वर्जन में ज्यादा-से-ज्यादा 50 एमबी के साइज की फाइल ट्रांसफर कर सकते हैं। इससे एक बार में छह फाइल्स अपलोड कर सकते हैं, लेकिन उनका कुल आकार 100 एमबी से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इसका इस्तेमाल महीने में दो बार, ज्यादा-से-ज्यादा 10 फाइल्स भेजने के लिए किया जा सकता है। फ्री वर्जन 250 एमबी तक का डेटा स्टोर करने की भी सुविधा देता है। अपलोड की गई फाइल्स सात दिनों तक सेंड 6 के सर्वर्स पर मौजूद रहती हैं। इस साइट पर रजिस्ट्रेशन करने की जरूरत सिर्फ प्रफेशनल (चार्जेबल) सेवाओं के यूजर्स को है।
megaupload.com
मेगाअपलोड से आप 100 एमबी से ज्यादा की फाइल्स को ट्रांसफर कर सकते हैं। इसका फ्री वर्जन एक जीबी तक की फाइल ट्रांसफर की सुविधा देता है। इन फाइल्स को 21 दिनों तक स्टोर करके रखा जाता है और डाउनलोड की कोई सीमा नहीं है। आप मेगाअपलोड ब्राउजर टूलबार भी इंस्टॉल कर सकते हैं जिससे इंटरनेट एक्सप्लोरर, फायरफॉक्स आदि के टूलबार से ही सीधे फाइल्स अपलोड की जा सकती हैं। यह 200 जीबी तक फ्री ऑनलाइन स्टोरेज की सुविधा देता है।
sendthisfile.com
सेंडदिसफाइल का इस्तेमाल आप इंटरनेट पर दो जीबी तक की फाइल्स भेजने में कर सकते हैं। हालांकि ऐसी फाइल्स सिर्फ तीन दिनों तक स्टोर करके रखी जा सकती हैं। चार्जेबल सेवाओं में यह समय बढ़ जाता है। हर फाइल को ज्यादा-से-ज्यादा तीन बार डाउनलोड किया जा सकता है। इस साइट पर आप फाइल्स को एनक्रिप्ट भी कर सकते हैं। अगर चाहते हैं कि आपकी फाइल दूसरे के हाथ न लगे, तो उसे एनक्रिप्ट करना न भूलें।
gigasize.com
गीगासाइज से आप मूवीज, गेम्स, पिक्चर्स, विडियोज आदि को दूसरों के साथ शेयर कर सकते हैं। इसका फ्री अकाउंट 300 एमबी तक की फाइल ट्रांसफर कर ऑनलाइन स्टोर करने की सुविधा देता है, लेकिन आपका कुल स्टोरेज दो जीबी से ज्यादा न हो। यहां आपकी फाइल्स डेढ़ महीने तक स्टोर करके रखी जाती हैं साथ ही सेफ्टी के लिए उन्हें पासवर्ड प्रोटेक्ट भी कर सकते हैं।
trasferbigfiles.com
ट्रांसफर बिग फाइल्स एक जीबी तक की फाइल्स भेजने, उन्हें पासवर्ड प्रोटेक्ट करने के साथ-साथ सर्वर पर फाइल डिलीट किए जाने की तारीख भी खुद तय कर सकते हैं। हालांकि ऐसा सिर्फ पांच दिन के अंदर-अंदर ही कर सकते हैं। जरूरी फाइल्स के मामले में यह एक अच्छी सुविधा है।
इंटरनेट पर बड़ी फाइल्स भेजने या डाउनलोड करते समय एक बात का ध्यान रखें। भेजी या रिसीव की गई फाइल्स आपकी इंटरनेट बैंडविड्थ को कंज्यूम करती हैं। अगर आपका ब्रॉडबैंड प्लान लिमिटेड है (जैसे 2 जीबी डेटा डाउनलोड) तो डाउनलोड या अपलोड की गई फाइल्स का साइज आपके इंटरनेट बिल को बढ़ा सकता है। अगर अनलिमिटेड बैंडविड्थ वाला प्लान है तो कोई प्रॉब्लम नहीं है।
इंटरनेट से बड़ी फाइल्स को डाउनलोड करना तब मुश्किल हो जाता है, जब इंटरनेट कनेक्शन की स्पीड कम हो या वह बार-बार टूटता हो। जब आप कोई फाइल डाउनलोड करते हैं तो अक्सर वह लगभग 98 फीसदी डाउनलोड हुई ही होती है कि इंटरनेट कनेक्शन टूट जाता है। आजकल डाउनलोड मैनेजमेंट के काम आने वाले कई अच्छे और फ्री सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं, जो न सिर्फ टूटे हुए डाउनलोड्स की समस्या को हल करते हैं, बल्कि डाउनलोडिंग की स्पीड भी बढ़ा देते हैं। ऐसे ही कुछ सॉफ्टवेयर्स के बारे में जानकारी दे रहे हैं बालेन्दु शर्मा दाधीच :
इंटरनेट यूजर किसी भी फाइल को डाउनलोड करने के लिए वेब ब्राउजर का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन वेब ब्राउजर्स का असली काम वेब सर्फ करना है, डाउनलोड के काम में वे उतने उपयोगी नहीं होते। इस काम के लिए कुछ फ्री प्रफेशनल डाउनलोड मैनेजर आते हैं जो डाउनलोड्स को शेडयूल करने, एक साथ बहुत सारे डाउनलोड्स करने, आपको डिस्टर्ब किए बिना बैकग्राउंड में डाउनलोड का काम पूरा करने जैसी सुविधाएं देते हैं। इन्हें आजमाकर देखें और डाउनलोड्स के टूटने की समस्या से पूरी तरह बेफ्रिक हो जाएं। आपका कंप्यूटर बंद होता हो, इंटरनेट कनेक्शन टूटता हो या बार-बार बिजली जाती हो, तो भी आपका काम आसानी से हो जाएगा।
Flashget.com- यह डाउनलोड की जाने वाली फाइल्स को कई टुकड़ों में बांटकर एक साथ कई डाउनलोड प्रोसेस शुरू कर देता है। यह टेक्निक आपको अपने इंटरनेट कनेक्शन की अधिकतम स्पीड का इस्तेमाल करने में मदद करती है।
Freedownloadmanager.org- डाउनलोड स्पीड 600 फीसदी तक बढ़ाने और किसी वेबसाइट के वेब पेजेज और फोल्डर्स की जानकारी देने में सक्षम। एक फाइल अपलोड मैनेजर भी साथ। पूरे के पूरे वेब पेजेज को डाउनलोड करने की भी सुविधा।
Orbitdownloader.com- इंटरनेट बैंडविड्थ की सीमा तय करने और कंप्यूटर में इंस्टॉल सॉफ्टवेयर्स के नए वर्जन की जानकारी देने में सक्षम।
Tonec.com- डाउनलोडिंग की गति पांच गुना तक बढ़ाने में सक्षम। डाउनलोडिंग खत्म होने पर कंप्यूटर अपने आप बंद होने की सुविधा। पूरी-की-पूरी वेबसाइट, उसका कुछ हिस्सा या कोई खास वेब पेज डाउनलोड करना संभव। वेबसाइट से किसी खास तरह की फाइल्स जैसे म्यूजिक, विडियो, पिक्चर्स आदि डाउनलोड करने की सुविधा।
Cryptload.info- डाउनलोड की गई जिप फाइल्स को अनजिप करने की सुविधा। डाउनलोडिंग पूरी होने पर कंप्यूटर को अपने आप बंद करने में सक्षम।
इन सभी सॉफ्टवेयर्स में डाउनलोड शेडयूलिंग, पॉज, री-स्टार्ट, फाइल स्पिलिटिंग, टूटे डाउनलोड्स दोबारा शुरू करना, एक साथ कई डाउनलोड्स, डाउनलोड स्पीड बढ़ाना, एचटीटीपी, एफटीपी और बिट टोरेंट सपोर्ट, ऑटोमैटिक एंटी-वायरस स्कैन, फ्लैश विडियो डाउनलोडिंग की सुविधा है। यह सभी फ्री हैं।
विंडोज पर काम करते समय कई बार ऐसा लगता है कि यह काम करने के लिए कोई सॉफ्टवेयर होता तो कितना अच्छा होता। जैसे हार्ड-डिस्क भर गई है, उसमें एक जैसी फाइलें और फोल्डर्स कई जगहों पर कॉपी हो गई हैं और आप सिर्फ एक कॉपी रखकर बाकी सबको डिलीट करना चाहते है। फाइलों की लंबी लिस्ट में हर एक का साइज और तारीख देखकर उनमें से अपने काम की फाइल को ढूंढना कोई आसान काम नहीं है। क्या ऐसा किसी सॉफ्टवेयर की मदद से संभव है? इसी तरह, आपके सीडी-डीवीडी राइटर के सॉफ्टवेयर की ऑरिजिनल सीडी खो गई है और नई खरीदने के मूड में नहीं हैं। क्या सीडी-डीवीडी राइटिंग के लिए उतना ही अच्छा कोई मुफ्त सॉफ्टवेयर मिल सकता है? इन सबके लिए कुछ बहुत अच्छे फ्री सॉफ्टवेयर्स उपलब्ध हैं। ये आपके समय की बचत के साथ-साथ काम को आसान भी बनाते हैं। पेश हैं कुछ यूजफुल टूल्स।
7 Zip (फाइल कंप्रेशन)
Egor Pavlov का 7 Zip पावरफुल फ्री जिपिंग सॉफ्टवेयर यूज करने के लिए एक अच्छा ऑप्शन है। यह कई तरह के जिप फॉरमेट (जैसे Rar U, Cab , Zip , WinZip , 7 z आदि) को खोल सकता है और Zip और 7 z फॉरमेट में फाइलें कंप्रेस कर सकता है। 7 z फॉरमेट में कंप्रेस्ड फाइलें जिप से छोटी होती हैं और स्पेस बचाती हैं। इतना ही नहीं, इसमें एनक्रिप्शन की सुविधा भी है। इसे यूज करने के लिए फाइल या फोल्डर्स पर राइट क्लिक करके Context मेन्यू खोलें और7 Zip के साथ दिए ऑप्शन का यूज करें। 7 Zip यहां से डाउनलोड कर सकते हैं -sourceforge.net/projects/sevenzip
CDBurnerXP (सीडी-डीवीडी बर्निंग)
यह Nero सॉफ्टवेयर की तरह ही पावरफुल है। यह cdburnerxp.se पर फ्री उपलब्ध है। इसकी बाकी खूबियों में बूटेबल डिस्क क्रिएशन, ऑडियो सीडी बर्निंग, बर्न की गई सीडी-डीवीडी में बाद में और फाइलें जोड़ने और आईएसओ फाइलें बनाने की क्षमता आदि शामिल हैं। आईएसओ फाइलें बहुत सारी फाइल्स और फोल्डर्स को एक साथ एक ही फाइल के रूप में सहेज कर रख सकती हैं और आप चाहें तो उन्हें उसी तरह सीडी या डीवीडी पर ट्रांसफर भी कर सकते हैं। यह सॉफ्टवेयर ऑडियो फाइलों को सुनने और आपकी कॉम्पेक्ट डिस्क के कवर प्रिंट करने की सुविधा भी देता है।
Eraser (परमानेंट फाइल डिलीट)
विंडोज में डिलीट की गई फाइलें डिलीट होने के बाद भी आपकी हार्ड डिस्क में मौजूद रहती हैं। शिफ्ट और डिलीट की को दबाकर डिलीट की गई फाइलें भी पूरी तरह सिस्टम से नहीं जातीं। वे तभी डिलीट होती हैं जब उनके स्पेस की जरूरत किसी दूसरी सामग्री को स्टोर करने के लिए पड़ती है। लेकिन अपनी जरूरी इंफर्मेशन और डेटा आदि से जुड़ी फाइलों को डिलीट करने के बाद आप नहीं चाहेंगे कि वे सिस्टम में मौजूद रहें और कोई दूसरा उन्हें किसी डेटा रिकवरी सॉफ्टवेयर की मदद से फिर रिस्टोर कर ले। ऐसी में आप eraser.heidi.ie की मदद ले सकते हैं जो आपकी सामग्री को हमेशा के लिए डिलीट कर देता है।
टेलिफोन और बिजली के बिलों के भुगतान के लिए लगने वाली लंबी-लंबी लाइनों से छुटकारा पाने के लिए खुराना जी ने सोचा कि एक क्रेडिट कार्ड ले लेते हैं, जिससे हर महीने ये छोटे-छोटे भुगतान घर बैठ-बैठे हो जाएंगे। उन्होंने बड़ी उम्मीद के साथ बैंक के क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई किया, लेकिन बैंक ने कोई कारण बताएं बिना उनकी ऐप्लिकेशन रिजेक्ट कर दी। अच्छी-खासी सैलरी पाने वाले खुराना जी के लिए इस तरह रिजेक्ट किए जाना सदमे से कम नहीं था। दरअसल, क्रेडिट कार्डों को लेकर बैंक रिजर्व बैंक के नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं। आखिर क्रेडिट कार्ड को लेकर क्या हैं आम कस्टमर्स के अधिकार, आइए जानते हैं :
ग्राहकों के अधिकार
- क्रेडिट कार्ड ऐप्लिकेशन को रिजेक्ट करते वक्त रिजेक्शन की वजह बताना बैंक के लिए जरूरी है।
- फ्री क्रेडिट कार्ड ऑफर करने के बाद कस्टमर से बैंक किसी भी तरह के अडिशनल चार्ज की मांग नहीं कर सकते।
- अगर बैंक अप्लाई किए बिना आपके नाम पर क्रेडिट कार्ड इश्यू करता है और बाद में उस पर बिल जारी करता है तो ऐसे मामलों में बैंक के लिए फौरन बिल वापस लेना जरूरी है, वरना कस्टमर के शिकायत करने पर बैंक को बिल की दोगुनी रकम का भुगतान करना होता है।
- क्रेडिट कार्ड बंद (डिस्कंटिन्यू) किए जाने की कस्टमर की रिक्वेस्ट मिलते ही बैंक को फौरन कार्रवाई करनी चाहिए।
- बैंक अगर बरसों बाद क्रेडिट कार्ड के चार्जों के नाम पर बकाया रकम का बिल भेजता है तो गलत है।
- बैंक क्रेडिट कार्ड का स्टेटमेंट डाक/कूरियर से भेजने के बजाय ऑनलाइन स्टेटमेंट लेने के लिए कस्टमर को मजबूर नहीं कर सकते।
भुगतान संबंधी जानकारी जरूरी
- क्रेडिट कार्ड पेमेंट की ड्यू डेट से 15 दिन पहले कस्टमर को बिल मिल जाना चाहिए। अगर बैंक ऐसा नहीं करता तो वह ड्यू डेट के बाद पेमेंट करने पर कस्टमर से ब्याज की मांग नहीं कर सकता।
- क्रेडिट कार्ड या उस पर दूसरे लोन देने से पहले कस्टमर को प्रोसेसिंग फीस और दूसरे चार्जों की जानकारी बैंक द्वारा दिया जाना जरूरी है, खासकर कम रकम के पर्सनल और दूसरे लोन्स पर।
- कुछ बैंक क्रेडिट कार्ड के साथ कस्टमर्स का इंश्योरेंस भी करते हैं। ऐसे में बैंकों के लिए जरूरी है कि वे कस्टमर से नॉमिनी की डिटेल्स जरूर लें, ताकि कस्टमर की मृत्यु या अपंगता की स्थिति में नॉमिनी को फायदा मिल सके।
- कस्टमर को समय पर कार्ड स्टेटमेंट उपलब्ध कराना बैंक का काम है। बैंक को ऐसा सिस्टम बनाना चाहिए कि कस्टमर को स्टेटमेंट मिलने का प्रूफ बैंक के पास भी हो।
- बैंक अपने मंथली स्टेटमेंट में मिनिमम बैलेंस ड्यू शो करते हैं लेकिन इसका क्या मतलब है, यह नहीं बतलाते। अगर क्रेडिट कार्ड के बिल में दिखाई गई पूरी रकम आप तय वक्त पर नहीं चुका पाते तो आपको फ्री क्रेडिट पीरियड का फायदा नहीं मिलेगा। साथ ही अडिशनल रकम पर ब्याज भी लगता है।
- अलग-अलग ट्रांजैक्शन और देर से भुगतान की स्थिति में ब्याज की क्या दर होगी, बैंक को यह जानकारी कस्टमर को देनी चाहिए।
... ताकि न हो बेजा इस्तेमाल
- क्रेडिट कार्ड का बेजा इस्तेमाल रोकने के लिए बैंकों के लिए यह जरूरी है कि वे कार्ड पर कस्टमर का फोटो और कस्टमर के सिग्नेचर को लेमिनेट करे।
- कस्टमर की पर्सनल जानकारी बैंक बिना उसकी सहमति के दूसरे व्यक्ति/संस्था को नहीं दे सकते। आपके साथ ऐसा होता है तो रिजर्व बैंक को जरूर लिखें।
- क्रेडिट कार्ड स्कीम में समय-समय पर होनेवाले बदलावों और कार्ड से जुड़ी दूसरी महत्वपूर्ण बातों के लिए कस्टमर को गाइड करना बैंक का काम है।
- गुम हुए कार्ड से होनेवाले नुकसान की भरपाई के लिए बैंक कस्टमर की मर्जी से मामूली-सा प्रीमियम लेकर उसका इंश्योरेंस कर सकते हैं।
- बैंकों के एटीएम पर कैमरे लगे होने चाहिए ताकि चोरी हुए क्रेडिट कार्ड से ट्रांजेक्शन करने पर आरोपी की पहचान आसानी से हो सके।
जवाबदेही जरूरी
- बैंक के डीएसए या डीएमए की किसी भी गलत हरकत के लिए बैंक अपनी जवाबदेही से इनकार नहीं कर सकते।
- अगर बैंक के कस्टमर केयर अधिकारी कस्टमर की शिकायत का हल नहीं कर पाते तो यह बैंक का जिम्मा है कि कस्टमर की शिकायत फौरन बड़े अधिकारी के पास भेजी जाए।
- कस्टमर की शिकायत पर फौरन कार्रवाई कर उसे फौरन सूचित करना बैंक का अहम काम है।
- बैंक द्वारा डिफॉल्टर कस्टमर की सूचना ष्टढ्ढक्चढ्ढरु को भेजने से पहले बैंक द्वारा कस्टमर को नोटिस दिया जाना जरूरी है। अगर कस्टमर बैंक से अपने ड्यूज सेटल कर लेता है तो बैंक को कस्टमर का नाम डिफॉल्टर लिस्ट से हटाना होगा।
- कस्टमर अगर कार्ड गुम होने की सूचना देता है तो बैंक को फौरन कार्ड को ब्लॉक करना होगा।
हेल्पलाइन
अगर क्रेडिट कार्ड से जुड़ी किसी भी शिकायत का हल बैंक के लेवल पर न हो पाए तो आप बैंकिंग ओम्बड्समैन को जरूर लिखें। दिल्ली, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और गाजियाबाद जिले के सभी बैंकों के क्रेडिट कार्डधारक अपनी शिकायत दिल्ली एरिया के बैंकिग ओम्बड्समैन को इस पते पर लिख सकते हैं :
बैंकिंग ओम्बड्समैन, सेकंड फ्लोर, आरबीआई बिल्डिंग, संसद मार्ग, नई दिल्ली-110001
फोन : 011-2373 0632-33, 2373 6270-71, फैक्स : 011-2372 5218
वेबसाइट : www.bankingombudsman.rbi.org.in
ईमेल :bonewdelhi@rbi.org.in
रियलिटी चेक
बैंकों द्वारा क्रेडिट कार्ड का स्टेटमेंट समय पर न भेजना और कस्टमर्स को ऑनलाइन स्टेटमेंट के लिए मजबूर करना बदस्तूर जारी है। क्रेडिट कार्ड ऐप्लिकेशन को रिजेक्ट किए जाने पर कस्टमर्स को कारण नहीं बतलाया जाता। बिल में मिनिमम अकाउंट ड्यू इस तरह से दिखाया जाता है कि अगर कस्टमर ने पूरी रकम के बदले प्रीमियम अमाउंट का भुगतान किया तो हर्जाना नहीं देना होगा, जबकि सचाई इसके उलट है। उलटी-सीधी बातें समझाकर क्रेडिट कार्ड के नाम पर आज भी बैंक कस्टमर्स से मनचाही ब्याज दरें वसूल कर रहे हैं।