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Sunday, April 14, 2013

मध्यप्रदेश के हर्बल जानकारों के अनुसार पुनर्नवा अनेक रोगों के लिए एक बेहद उपयोगी औषधि है..


आइए, जानने की कोशिश करते हैं एक ऐसे ही औषधीय पौधे के बारे में जो अक्सर हमारे आंगन, बगीचे और घास के मैदानों में पैर से कुचला जाता है, इसे खरपतवार माना जाता है। इस बूटी का वानस्पतिक नाम बोरहाविया डिफ्यूसा है और इसे पुनर्नवा के नाम से जाना जाता है। पातालकोट
मध्यप्रदेश के हर्बल जानकारों के अनुसार पुनर्नवा अनेक रोगों के लिए एक बेहद उपयोगी औषधि है..
1.
जवानी बनाए रखता है
2.
पीलिया दूर करता है
3.
हेपेटाइटिस में है गजब की दवा
4.
प्रोस्टेट की समस्या खत्म करता है
5.
मोटापा कम हो जाता है
6.
दिल से संबंधित रोगों में रामबाण
 

पुनर्नवा के आदिवासी पारंपरिक नुस्खों का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रालि. अहमदाबाद) डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को इकट्ठा करने का काम कर रहे हैं।
1. जवानी बनाए रखता है
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आयुर्वेद के अनुसार इस पौधे में व्यक्ति को पुनः नवा अर्थात जवान कर देने की क्षमता है और मजे की बात यह भी है कि मध्यप्रदेश के पातालकोट के आदिवासी इसे जवानी बढ़ाने वाली दवा के रूप में उपयोग में लाते हैं।
पुनर्नवा की ताजी जड़ों का रस (2 चम्मच) दो से तीन माह तक लगातार दूध के साथ सेवन करने से वृद्ध व्यक्ति भी युवा की तरह महसूस करता है।

 
पुनर्नवा के आदिवासी पारंपरिक नुस्खों का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रालि. अहमदाबाद) डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को इकट्ठा करने का काम कर रहे हैं।
2.पीलिया दूर करता है- पीलिया रोग में आंखें हल्दी के समान पीली दिखाई देती हैं। त्वचा का रंग पीला होना, मूत्र में पीलापन, ज्वर, कमजोरी आदि लक्षण दिखाई देते हैं।

आदिवासी पुनर्नवा का उपयोग विभिन्न विकारों में भी करते हैं। इसके पत्तों का रस अपचन में लाभकारी होता है। पीलिया होने पर पुनर्नवा के संपूर्ण पौधे के रस में हरड़ या हर्रा के फलों का चूर्ण मिलाकर लेने से रोग में आराम मिलता है।

पुनर्नवा के आदिवासी पारंपरिक नुस्खों का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रालि. अहमदाबाद) डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को इकट्ठा करने का काम कर रहे हैं।
3.हेपेटाइटिस में है गजब की दवा
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लीवर में सूजन को मेडिकल साइंस ने हेपेटाइटिस का नाम दिया है। हमारे देश में हेपेटाइटिस के . बी. सी.और . वायरस पाए जाते हैं। यह रोग विषाणुओं के द्वारा हमारे शरीर में फैलता है। विषाणुओं से फैलने के कारण इसे वायरल हेपेटाइटिस कहा जाता है।

लीवर (यकृत) में सूजन जाने पर पुनर्नवा की जड़ (3ग्राम) और सहजन अथवा मुनगा की छाल (4 ग्राम) लेकर पानी में उबाला जाए रोगी को दिया जाए तो अतिशीघ्र आराम मिलता है।
 
पुनर्नवा के आदिवासी पारंपरिक नुस्खों का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रालि. अहमदाबाद) डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को इकट्ठा करने का काम कर रहे हैं।
4.प्रोस्टेट की समस्या खत्म करता है
प्रोस्टेट एक छोटी-सी ग्रंथि होती है, जिसका आकार अखरोट के समान होता है। यह पुरुषों में मूत्राशय के नीचे तथा मूत्रनली (शरीर में वह नलिका जिसके माध्यम से मूत्र बाहर निकलता है) के आसपास स्थित होता है।
पुरुष प्रजनन में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। 50 वर्ष की आयु के उपरांत प्रोस्टेट संबंधी समस्याएं आम बात होती हैं। प्रोस्टेट ग्रंथियों के वृद्धि होने पर पुनर्नवा की जड़ों के चूर्ण का सेवन लाभकारी होता है।

पुनर्नवा के आदिवासी पारंपरिक नुस्खों का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रालि. अहमदाबाद) डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को इकट्ठा करने का काम कर रहे हैं।

5. मोटापा कम हो जाता है
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मोटापा घटाने के लिए भोजन शैली में सुधार जरूरी है। कुछ प्राकृतिक चीजें ऐसी हैं, जिनके सेवन से वजन नियंत्रित रहता है।
मोटापा कम करने के लिए पुनर्नवा के पौधों को एकत्र कर सुखा लिया जाए और चूर्ण तैयार किया जाए। 2 चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर सुबह-शाम सेवन किया जाए तो शरीर की स्थूलता तथा चर्बी कम हो जाती है।

6.दिल से संबंधित रोगों में रामबाण
अगर आप दिल से संबंधित किसी रोग से पीड़ित हैं या हमेशा दिल की बीमारियों से बचे रहना चाहते हैं तो पुनर्नवा का पांचांग (समस्त पौधा) का रस और अर्जुन छाल की समान मात्रा बड़ी फाय़देमंद होती है।
पुनर्नवा  की जड़ों को दूध में उबालकर पिलाने से बुखार में तुरंत आराम मिलता है। इसी मिश्रण के सेवन से अल्पमूत्रता और मूत्र में जलन की शिकायत से छुटकारा मिलता है।