हाल में आए सरकारी नोटिफिकेशन के बाद से तमामलोगों में यह भ्रम है कि अगर उनकी सालाना आमदनीपांच लाख रुपये या उससे कम है , तो उन्हें फाइनैंशलईयर 2010-11 का रिटर्न नहीं भरना है , लेकिन हकीकतकुछ और ही है। इस नोटिफिकेशन में कई ऐसे पेच हैंजिनके चलते बहुत ही कम लोगों को रिटर्न भरने सेछुटकारा मिल सकेगा। तो गौर से देखिए कि आप किसकैटिगरी में हैं। अगर आपको रिटर्न भरना है , तो क्यों नआखिरी तारीख 31 जुलाई से पहले ही इस काम को निबटादिया जाए। सैलरीड क्लास के लिए इनकम टैक्स रिटर्नभरने के तरीकों के बारे में हमने चार्टर्ड अकाउंटेंट सत्येंद्रजैन से बात की। पूरी जानकारी प्रभात गौड़ से :
इनकम टैक्स रिटर्न की एबीसी
फाइनैंशल ईयर 31 मार्च को खत्म होता है। इसके खत्महोने के बाद ऐसे हर शख्स को इनकम टैक्स विभाग में एक फॉर्म भरकर देना पड़ता है , जिसकी सालानाआमदनी टैक्सेबल होती है , हालांकि नए नियमों के मुताबिक जिन लोगों की सालाना आमदनी कटौती क्लेमकरने के बाद 5 लाख रुपये से कम है , उन्हें रिटर्न भरने से छूट दे दी गई है। वैसे इस नियम में भी कई पेच हैं ,जिनका जिक्र आगे करेंगे। इनकम टैक्स विभाग में जमा किए जाने वाले इस फॉर्म में कोई शख्स बताता है किपिछले फाइनैंशल ईयर में उसे कुल कितनी आमदनी हुई और उसने उस आमदनी पर कितना टैक्स भरा। इसेइनकम टैक्स रिटर्न कहा जाता है। इन दिनों फाइनैंशल ईयर 2010-2011 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरे जारहे हैं। कहने का मतलब हुआ कि फाइनैंशल ईयर 2010-2011 के लिए रिटर्न साल 2011-12 में भरा जाएगा।ऐसे में इस बार के लिए 2010-11 प्रीवियस ईयर कहलाएगा और 2011-12 को असेसमेंट ईयर कहेंगे।
जानिए: इनकम टैक्स रिटर्न भरने का तरीका
किसे भरना है किसे नहीं
सरकार ने पिछले दिनों ऐलान किया था कि कटौती के बाद जिन सैलरीड लोगों की सालाना इनकम पांच लाखरुपये या उससे कम है , उन्हें रिटर्न भरने की जरूरत नहीं है , लेकिन इसमें कई लोचे हैं।
1. क्या है नया नियम
आप फाइनैंशल ईयर 2010-11 के लिए रिटर्न भरने से बच सकते हैं , अगर इन शर्तों को पूरा करते हैं :
- कटौती के बाद साल की कुल इनकम पांच लाख रुपये या उससे कम हो।
- इनकम में सिर्फ सैलरी और बैंक सेविंग से मिलनेवाले ब्याज को ही शामिल किया जाएगा।
- सैलरी सिर्फ एक एम्प्लॉयर से मिली हो।
- बैंक में जमा बचत से मिलनेवाला सालाना ब्याज 10 हजार रुपये से कम हो।
- बैंक में बचत खाते के ब्याज पर टैक्स चुका दिया गया हो और इसका ब्यौरा फॉर्म 16 में हो।
2. भरना होगा रिटर्न
पांच लाख या उससे कम आमदनी के बावजूद भरना होगा रिटर्न अगर
- सैलरी और सेविंग अकाउंट पर मिलनेवाले ब्याज के अलावा और कहीं से भी कोई आमदनी होती है।
- टैक्स बचाने के लिए एफडी या एनएससी में निवेश करते हैं या ईएलएसएस से डिविडेंड मिलता है।
- सेक्शन 80 सीसीएफ में छूट के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड में निवेश कर रखा है।
- एक महीने के लिए भी अपना मकान किराए पर दिया है।
- फाइनैंशल ईयर के दौरान नौकरी बदली है।
- नुकसान को कैरी फॉरवर्ड करना चाहते हैं या फिर रिफंड क्लेम करना है।
पैन और रिटर्न
- इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए पैन का होना जरूरी है।
- अगर किसी की सालाना आमदनी टैक्सेबल है तो उसे पैन लेना अनिवार्य है। ऐसे लोग अगर अपने एम्प्लॉयरको पैन उपलब्ध नहीं कराते हैं तो एम्प्लॉयर उनका 20 फीसदी या उससे भी ज्यादा रेट पर टीडीएस काट सकताहै।
- अगर आपकी इनकम टैक्सेबल नहीं है , तो पैन लेना अनिवार्य नहीं है , फिर भी कई तरह के वित्तीय लेन - देनऔर इंश्योरेंस के मामले में पैन की जरूरत होती है , इसलिए बेहतर यही है कि पैन सभी को बनवा लेना चाहिए।
- इनकम टैक्सेबल होने पर अगर किसी के पास पैन नहीं है तो पैन न होने के लिए कोई सजा नहीं है , सजा इसबात के लिए हो सकती है कि पैन न होने के चलते आप रिटर्न फाइल नहीं करा पाए या आपने अपनी आमदनी कोछिपाया।
- जिन लोगों का टीडीएस उनकी कंपनी द्वारा काटा जा चुका है और उन पर टैक्स की कोई देनदारी नहीं बनती ,वे 31 मार्च 2011 तक भी अपना रिटर्न जमा कर सकते हैं।
- ऐसे लोग अगर 31 मार्च 2011 तक अपना रिटर्न जमा नहीं करा पाते , तो उसके बाद उन पर पांच हजाररुपये का जुर्माना लग सकता है।
जमा कहां करें
सैलरीड क्लास के लोग अपना भरा हुआ रिटर्न फॉर्म मयूर भवन , कनॉट प्लेस , नई दिल्ली में अपने असेसमेंटऑफिसर के पास जमा करा सकते हैं। असेसमेंट ऑफिसर के बारे में जानने के लिए इनकम टैक्स की वेबसाइटwww.incometaxindia.gov.in पर जाएं और पैन पर क्लिक करें। इसके बाद ' नो योर एओ ' पर क्लिककरें। अब आपसे आपका पैन मांगा जाएगा। पैन भरने के बाद एंटर दबाएं और फिर पेज को लेफ्ट की तरफखिसकाएं। अब अपने आईटीओ वॉर्ड से संबंधित पूरी जानकारी आपके सामने होगी।
रिफंड
अगर टीडीएस कट जाने के बाद आपने टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट किया है तो ज्यादा कटे टैक्स को आप इनकमटैक्स विभाग से रिफंड करा सकते हैं। ऐसे में रिटर्न फाइल करने के कुछ महीने के अंदर आपको रिफंड मिलजाएगा। यह रकम आपके बैंक अकाउंट में क्रेडिट कर दी जाती है। आप इस रकम को चेक से भी ले सकते हैं। अगररिटर्न भरते वक्त आपको पता चलता है कि आपके ऊपर टीडीएस के अलावा भी टैक्स की देनदारी बन रही है तोउस टैक्स को आपको नैशनलाइज्ड बैंकों की तय शाखाओं में चालान भरकर जमा करा देना चाहिए।
कब तक रखें रेकॉर्ड
वर्तमान करंट फाइनैंशल ईयर से छह साल पहले तक के मामलों में कानूनी धरपकड़ हो सकती है इसलिए रिटर्नआदि का छह साल तक का रेकॉर्ड आपके पास सुरक्षित होना चाहिए।
रिटर्न भरने का तरीका
इनकम टैक्स रिटर्न दो तरह से भरा जाता है - मैन्युअली और ऑनलाइन। मैन्युली भरने के लिए फॉर्म या तोकिसी स्टेशनरी की दुकान से लें या फिर साइट www.incometaxindia.gov.in से डाउनलोड कर लें। अबएक ऑप्शन तो यह है कि आप किसी सीए या वकील को फीस देकर अपना फॉर्म भरवा लें। दूसरा तरीका यह हैकि इसे खुद भर लें। आप फॉर्म भरने के लिए इनकम टैक्स विभाग के टीआरपी की मदद भी ले सकते हैं। खुदभरने का तरीका हम सामने वाले पेज पर दे रहे हैं। अगर आप टीआरपी की मदद से या ऑनलाइन भरना चाहतेहैं तो यहां देखें :
1. टीआरपी की मदद से
- इस लिंक पर जाएं http://www.trpscheme.com/trp/index.jsp ' लोकेट योर नीयरेस्ट टीआरपी 'क्लिक करें।
- इसके बाद सर्च टीआरपी में जाने के बाद अपना प्रदेश और जिले का नाम भर दें। आपके क्षेत्र के टीआरपी केनाम , पते और फोन नंबर आपको मिल जाएंगे। इनसे संपर्क करें। समय - समय पर इनकम टैक्स विभागटीआरपी के बारे में अखबारों में भी सूचना देता रहता है। टोल फ्री नंबर 1800-10-23738 पर कॉल करके भीटीआरपी से संबंधित सूचनाएं हासिल की जा सकती हैं। यह लाइन सोमवार से शनिवार तक सुबह 9 बजे से शाम6 बजे तक खुली रहती है।
- कोई भी टीआरपी देश में कहीं भी मौजूद आदमी का रिटर्न भर सकता है। टीआरपी की पहचानने के लिए उनकाआईडी कार्ड या सर्टिफिकेट देखें।
- टीआरपी को फॉर्म 16 की फोटोस्टैट दें , ओरिजनल डॉक्यूमेंट न दें। इसकी मदद से वह रिटर्न भरेगा और जमाकरेगा। रिटर्न जमा करने के बाद टीआरपी आपको उसकी रसीद देगा। रिटर्न भरने में कोई गड़बड़ी होती है तोइसके लिए टीआरपी जिम्मेदार होगा।
खर्च कितना : रिटर्न भरकर जमा करने का काम टीआरपी बिना किसी फीस के करते हैं , लेकिन फिर भी वेअधिकतम 250 रुपये तक चार्ज कर सकते हैं।
2. ऑनलाइन रिटर्न भरने का तरीका
ई - रिटर्न भरने के लिए टैक्स से संबंधित कई वेबसाइट्स हैं , लेकिन ये साइट्स आपसे पैसे चार्ज करती हैं। फ्री मेंई - रिटर्न भरना चाहते हैं तो इनकम टैक्स विभाग की साइट से ई - रिटर्न भरना चाहिए। इसके लिए नीचे दिएगए स्टेप को फॉलो करें :
- साइट https://incometaxindiaefiling.gov.in/portal/index.jsp पर जाएं।
- लेफ्ट में डाउनलोड के नीचे ई फाइलिंग असेसमेंट ईयर 2011-12 मेन्यू में इंडिविजुअल / एचयूएफ को दबाएं।
- आईटीआर 1 में एक्सेल यूटिलिटी क्लिक करें। यह इस साल के लिए सहज फॉर्म आ जाएगा। अब डायलॉगबॉक्स में सेव ऑप्शन क्लिक करें। फॉर्म को डेस्कटॉप पर सेव कर लें।
- अब इस फॉर्म को ऑफलाइन ही भर लें।
- फॉर्म भर लेने के बाद ' जेनरेट एक्सएमएल फाइल ' पर क्लिक करके इसका एक्सएएमएल वर्जन तैयार कर लें।
- अब इनकम टैक्स की साइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन कराएं और ई - मेल अकाउंट व पासवर्ड हासिल करें।
- इसकी मदद से लॉग - इन करें और ' समिट रिटर्न ' क्लिक कर दें।
- रिटर्न की एक्सएमएल फाइल ब्राउज करके उसे अपलोड कर दें।
- फाइल अपलोड हो जाने के बाद अकनॉलिजमेंट फॉर्म आएगा।
- अगर आपके पास डिजिटल साइन हैं , तो डिजिटल साइन दे दीजिए। रिटर्न का प्रॉसेस यहीं पूरा हो गया।
- अगर डिजिटल साइन नहीं हैं , तो इस अकनॉलेजमेंट फॉर्म पर अपने साइन करें और 120 दिनों के अंदर इसेसाधारण पोस्ट से इस पते पर भेज दें : आईटी विभाग , सीपीसी , पो . बॉ . 1, इलेक्ट्रॉनिक सिटी पोस्ट ऑफिस, बेंगलुरु -560100
- इसके बाद विभाग की तरफ से 15-20 दिन में इस बात का अकनॉलिजमेंट ई - मेल से आएगा कि आपका रिटर्नभरने का काम सफलतापूर्वक पूरा हुआ। कई लोगों को लगता है कि साधारण पोस्ट से अगर फॉर्म बेंगलुरु नहींपहुंचा तो ? ऐसे में अगर 15 दिनों में रिटर्न का अकनॉलेजमेंट मेल न आए तो दोबारा अकनॉलेजमेंट भेज दें।आप बेंगलुरु ऑफिस के फोन नंबर 080-43456700 पर कॉल कर सकते हैं।
खर्च कितना : अगर इनकम टैक्स की साइट से भर रहे हैं तो कोई खर्च नहीं है। किसी और साइट से भरते हैं तो100 से 750 रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं।
कैसे बनते हैं डिजिटल साइन : टीसीएस , एमटीएनएल जैसी कई अथॉरिटी हैं , जहां से आप डिजिटलसिग्नेचर बनवा सकते हैं।
कुछ और पेड साइट्स : Taxmile.com, Myitreturn.com, Taxspanner.com, Taxshax.com
कौन - सा फॉर्म किसके लिए
आईटीआर 1: उन लोगों को भरना है , जिन्हें सैलरी , पेंशन और ब्याज से आमदनी हुई। जिन लोगों के पास एकमकान है और उन्होंने हाउसिंग लोन ले रखा है , उन्हें भी यही फॉर्म भरना है।
आईटीआर 2: अगर आपको सैलरी , पेंशन और ब्याज से हुई आमदनी के अलावा एक से ज्यादा प्रॉपर्टी से आनेवाले किराये , कैपिटल गेंस , डिविडेंड से भी किसी तरह की कोई आमदनी हुई है तो आपको आईटीआर 2 भरनाहोगा। एचयूएफ के लिए भी यही फॉर्म है।
आईटीआर 3: अगर आप किसी फर्म में पाटर्नर हैं तो आईटीआर 3 भरें।
आईटीआर 4: आईटीआर 4 उन लोगों को भरना होता है , जिन्हें किसी बिजनेस , फर्म आदि से इनकम होती है।इसके अलावा स्वरोजगार में लगे लोगों जैसे वकील , डॉक्टर और चार्टर्ड अकाउंटेंट आदि को भी आईटीआर 4फॉर्म ही भरना होता है।
आईटीआर 4S या सुगम
यह फॉर्म उन छोटे व्यापारियों और प्रफेशनल्स के लिए है , जिनका सालाना टर्नओवर 60 लाख से कम है। ऐसे लोगों को ऑडिटिंग कराने की जरूरत नहीं होती।
कैसे निकालें टैक्सेबल इनकम
1. 1 अप्रैल 2010 से 31 मार्च 2011 तक सैलरी
सैलरी पानेवालों को उनके एम्प्लॉयर द्वारा मई - जून में एक सर्टिफिकेट ( फॉर्म 16) दिया जाता है , जिसमेंसैलरी , भत्तों और काटे गए टैक्स यानी टीडीएस का ब्यौरा होता है। ग्रॉस सैलरी में एम्प्लॉयर द्वारा दिए जा रहेतमाम भत्तों को भी शामिल किया जाता है। इन भत्तों पर टैक्स लगता है , लेकिन कुछ शर्तों के साथ इनमें छूटऔर डिडक्शन ली जा सकती है।
सैलरी के मेन आइटम्स
- बेसिक और डीए
साल भर में आपको जो बेसिक सैलरी और डीए मिलता है , पूरा टैक्सेबल इनकम में जुड़ेगा।
- स्पेशल पे अलाउंस
यह भी पूरा का पूरा टैक्सेबल इनकम में जुड़ेगा।
- हाउस रेंट अलाउंस ( एचआरए )
अगर आप मकान के किराये की रसीदें दफ्तर में जमा करा दें तो एचआरए को खर्च मान लिया जाता है और उसेटैक्सेबल इनकम में नहीं जोड़ा जाता। अगर आप अपने घर में रह रहे हैं या ऐसे घर में हैं , जहां आपको रेंट नहींदेना होता , तो एचआरए आपकी टैक्सेबल इनकम में जोड़ा जाएगा यानी उस पर टैक्स लगेगा। अगर आपकोदफ्तर से एचआरए मिलता है और जिस मकान में आप रह रहे हैं , वह आपके जीवनसाथी या माता - पिता केनाम है तो आप उन्हें साल भर चेक के जरिए किराया देकर टैक्स में छूट पा सकते हैं। छूट पाने के लिए किराये कीरसीदें अपने दफ्तर में जमा कराना जरूरी है। अगर किराया दे रहे हैं तो नीचे दी गई रकमों में से जो सबसे कमहोगी , उस रकम पर आपको टैक्स नहीं देना होगा :
- साल भर में दफ्तर से मिला कुल एचआरए।
- चुकाए गए सालाना किराये की रकम में से सालाना बेसिक सैलरी के 10 फीसदी हिस्से को घटाने पर निकलीरकम।
- अगर दिल्ली जैसे मेट्रो सिटी में हैं तो बेसिक सैलरी का 50 फीसदी और दूसरे शहरों में हैं तो बेसिक सैलरी का40 फीसदी।
- ट्रांसपोर्टेशन अलाउंस
यह अगर आपको हर महीने 800 रुपये तक मिल रहा है , तो वह टैक्सेबल नहीं होगा। 800 रुपये से ज्यादा मिलरहा है तो बाकी रकम पर टैक्स लगेगा।
- मेडिकल रीइंबर्समेंट
यह अगर साल भर में 15 हजार रुपये तक मिल रहा है तो डॉक्टरों और दवाइयों के खर्च की रसीदें दफ्तर में जमाकराकर आप उतनी रकम पर टैक्स बचा सकते हैं। अगर 15 हजार रुपये से ज्यादा मिले तो बाकी रकम आपकीटैक्सेबल आमदनी में जुड़ेगी और उस पर टैक्स देना होगा।
- एलटीए ( लीव टैवल अलाउंस )
यह रकम रसीद देकर क्लेम की जा रही है तो टैक्स नहीं लगेगा। चार साल में सिर्फ दो बार ही रसीद देने परटैक्स में छूट मिलती है। इन चार साल का एक ब्लॉक होता है - वर्तमान में 2006-09 (1 जनवरी 2006 से लेकर31 दिसंबर 2009 तक ) ब्लॉक चल रहा है।
- बोनस / वैरिएबल पे
यह पूरा का पूरा टैक्सेबल इनकम में जुड़ेगा।
2. बिजनेस और प्रफेशन
बिजनेस या प्रफेशन में जो भी आमदनी हुई है , उसे टैक्सेबल इनकम में जोड़ेंगे।
3. जमीन - जायदाद से होने वाली इनकम
4. कैपिटल गेंस
- किसी संपत्ति या शेयरों को बेचने से होने वाली इनकम कैपिटल गेंस होती है। यह दो तरह का होता है : लॉन्गटर्म कैपिटल गेंस और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस।
- अगर किसी संपत्ति को उसके खरीदे जाने के तीन साल के भीतर बेचा जाता है , तो उससे होने वाला फायदाशॉर्ट टर्म गेंस होगा और अगर तीन साल के बाद बेचा जाता है तो उसे लॉन्ग टर्म गेंस कहेंगे।
- इसी तरह अगर शेयरों को खरीदे जाने के 12 महीने के अंदर बेच दिए जाते हैं , तो होने वाला लाभ शॉर्ट टर्महोगा और अगर 12 महीने के बाद बेचा जाता है तो उसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस में रखेंगे।
- शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस पर टैक्स देना होता है इसलिए उसे टैक्सेबल इनकम में जोड़ेंगे। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंसपर कोई टैक्स नहीं लगता , इसलिए इसे नहीं जोड़ेंगे।
5. अन्य स्त्रोतों से होने वाली आमदनी
ऊपर के अलावा बाकी सारी छिटपुट आमदनी इसमें जोड़ें। निम्न सभी स्त्रोतों से मिली आमदनी को टैक्सेबलइनकम में जोड़ा जाएगा :
- सेविंग्स बैंक अकाउंट से मिला ब्याज
- पोस्ट ऑफिस सेविंग्स जैसे एनएससी , किसान विकास पत्र , इंदिरा विकास पत्र , एमआईएस आदि से मिलाब्याज
- किसी को दिए गए उधार से मिला ब्याज
- कंपनी डिपॉजिट्स से मिला ब्याज
- डिबेंचर / बॉन्ड्स से मिला ब्याज
- लॉटरी से हुई आमदनी
- सरकारी सिक्युरिटीज से मिला ब्याज
किस - किस इनकम पर नहीं लगता टैक्स
नीचे दी गई इनकम पर टैक्स नहीं लगता और इसकी कोई ऊपरी सीमा भी नहीं है :
- पीपीएफ / जीपीएफ / ईपीएफ पर मिला ब्याज
- जीओआई टैक्स फ्री बॉन्ड्स पर मिला ब्याज
- शेयर और म्यूचुअल फंड्स पर मिला डिविडेंड
- पोस्ट ऑफिस में खुले किसी सेविंग्स अकाउंट पर मिला ब्याज
- शेयर और इक्विटी म्यूचुअल फंड्स बेचने से हुआ लॉर्न्ग टर्म कैपिटल गेंस ( बशतेर् ट्रांजैक्शन पर लगने वालासिक्युरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स पे हो चुका हो ) ।
- कुछ खास रिश्तेदारों से लिए गए गिफ्ट। अगर गैर - रिश्तेदारों से ले रहे हैं तो 50 हजार रुपये से कम कागिफ्ट। गैर - रिश्तेदारों से 50 हजार रुपये से ज्यादा का गिफ्ट ले रहे हैं तो पूरी अमाउंट पर टैक्स देना होगा।
- खेती से हुई आमदनी
- विरासत में मिली जायदाद पर टैक्स नहीं लगेगा , लेकिन अगर उससे किराया मिल रहा है तो उस किराये परटैक्स लगेगा।
लास्ट डेट
31 जुलाई
सैलरीड लोगों के लिए
बिजनेस वाले लोगों के लिए , अगर वे अपनी आमदनी की ऑडिटिंग नहीं कराते
सेल्फ एम्प्लॉइड लोगों के लिए , अगर ऑडिटिंग नहीं कराते
30 सितंबर
ऐसे सभी लोगों , फर्मों या कंपनियों के लिए जो अपनी आमदनी की ऑडिटिंग कराते हैं।
31 मार्च 2012
जिन लोगों का टीडीएस उनकी कंपनी द्वारा काटा जा चुका है और उन पर टैक्स की कोई देनदारी नहीं बनती , वे31 मार्च 2011 तक भी अपना रिटर्न जमा कर सकते हैं , लेकिन ऐसे लोग अगर 31 मार्च 2012 तक अपनारिटर्न जमा नहीं करा पाते हैं , तो उन पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लग सकता है। see the DEMO by this link Click
वेब पर विडियो का नाम आते ही सबसे पहले ख्याल आता है यूट्यूब ( youtube.com) का, जो अपनी कैटिगरी की सबसे लोकप्रिय वेबसाइट है। इसके अलावा भी कुछ वेबसाइट हैं, जिन पर आपको दिलचस्प विडियो मिल सकते हैं :
Dailymotion.com
यूं तो इस साइट पर सर्च करके कोई भी विडियो देखा जा सकता है, लेकिन होमपेज पर बनी न्यूज, फनी, फिल्म, टीवी, स्पोर्ट्स आदि कैटिगरी यूजर्स का काम और भी आसान कर देती हैं। साइट पर चलने वाले कॉन्टेस्ट आपको इनाम जीतने का मौका देते हैं। यहां हाई-डेफिनिशन (एचडी) विडियो भी देखे जा सकते हैं। विडियो को ताजे, लोकप्रिय और बेस्ट रेटेड के रूप में छांटकर भी देखा जा सकता है।
Metacafe.com
मेटाकैफे भी यूट्यूब जैसी लोकप्रिय वेबसाइट है, जहां विडियो की एक दर्जन से ज्यादा कैटिगरी हैं। यहां सबसे लोकप्रिय और व्यूअर्स की सबसे ज्यादा तारीफ या रेटिंग पाने वाले विडियो भी देखे जा सकते हैं। बेहतर क्वॉलिटी के एचडी विडियो भी उपलब्ध हैं और कई हॉलिवुड फिल्मों के प्रोमो भी दिखाए जाते हैं।
veoh.com
वियो पर दो दर्जन कैटिगरी के विडियो तो दिखाए ही जाते हैं, इस साइट की सबसे खास बात है यहां मौजूद फिल्मों का खजाना। कई लोकप्रिय हॉलिवुड फिल्में यहां पूरी की पूरी उपलब्ध हैं, तो बहुतों के कुछ हिस्से फ्री देखे जा सकते हैं। ढेर सारा म्यूजिक भी है। यूजर्स चाहें तो साइट पर रजिस्ट्रेशन करके इसके दूसरे यूजर्स के साथ मेलजोल बढ़ा सकते हैं और विडियो पर चर्चा कर सकते हैं।
vimeo.com
विमियो पर दूसरों के डाले विडियो देखने का आनंद लेने के साथ-साथ आप अपने चैनल बनाकर विडियो अपलोड भी कर सकते हैं, बिल्कुल यूट्यूब की तरह। यहां भी विडियो को बहुत-सी कैटिगरी में बांटा गया है, जैसे आर्ट, फिल्म्स, कॉमिडी, एक्सपेरिमेंटल, नेचर, साइंस वगैरह। यह वेबसाइट दूसरे यूजर्स के साथ मिलकर विडियो या फिल्में तैयार करने का मौका भी मुहैया कराती है। इसे विमियो की भाषा में प्रोजेक्ट्स कहा जाता है।
hulu.com
अमेरिका की बेहद लोकप्रिय विडियो साइट है। भारत के यूजर्स को इसके कुछ ऑप्शंस उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन इसकी खास बात है विदेशी टीवी चैनलों के सीरियलों के एपिसोड, जिन्हें आप-हम भी देख सकते हैं। यहां ढेरों फिल्में उपलब्ध हैं, जिनकी विडियो क्वॉलिटी बहुत अच्छी है। अगर आप डॉक्युमेंट्री पसंद करते हैं तो इंटरनेट पर आपके लिए यह बिल्कुल सही ठिकाना है।
पेन और सीडी-डीवीडी ड्राइव ज्यादातर कंप्यूटर यूजर्स के पास है और लगभग हर कंप्यूटर में इनके इस्तेमाल की सुविधा है। आजकल बाजार में 32 जीबी कपैसिटी तक की पेन ड्राइव आसानी से उपलब्ध है। अगर कोई भी अनजान व्यक्ति आपके पर्सनल कंप्यूटर पर बैठता है, तो वह आसानी से आपका जरूरी डेटा कॉपी कर सकता है। सीडी-डीवीडी ड्राइव के मामले में भी यही बात लागू होती है। क्या कोई ऐसा तरीका है जिससे आप किसी अनजान व्यक्ति को इन ड्राइव्स का इस्तेमाल करने से रोके भी न और अपने डेटा को भी उससे सुरक्षित रख पाएं? ऐसे ही कुछ तरीकों के बारे में बता रहे हैं बालेन्दु शर्मा दाधीच :
पेन ड्राइव कंट्रोल
अगर आपके पास विंडोज एक्सपी है, तो कंप्यूटर की रजिस्ट्री में कुछ बदलाव करके आप पेन ड्राइव के इस्तेमाल को कंट्रोल कर सकते हैं। इससे कोई भी पेन ड्राइव में मौजूद सामग्री को देख और उसे कंप्यूटर में कॉपी तो कर पाएगा, लेकिन कंप्यूटर से किसी भी फाइल को कॉपी कर पेन ड्राइव में ट्रांसफर नहीं कर सकेगा। ऐसा करने के लिए पहले start और फिर run पर जाएं। खुलने वाले बॉक्स में Regedt32 टाइप करें। रजिस्ट्री एडीटर खुलेगा। इसमें लेफ्ट साइड पर कुछ लिंक दिए होंगे, जिनमें पहले HKEY_LOCAL_MACHINE पर क्लिक करें, फिर Systems/CurrentControlSet/Control लिंक तक पहुंचें। इस लिंक को क्लिक करने पर खुलने वाली लिस्ट में देखें कि Storage Device Policy है या नहीं। अगर नहीं है, तो माउस को राइट क्लिक करके New और फिर key दबाएं। अब एक नई एंट्री बनेगी जिसका नाम New Key # 1 होगा। Rename के जरिए इसे बदलकर Storage Device Policies कर दें। अब रजिस्ट्री एडीटर के राइट वाले हिस्से पर राइट क्लिक करके new बटन दबाएं और Dword Value ऑप्शन को चुनें। इसका नाम New Value#1 होगा। राइट माउस क्लिक और Modify कमांड के जरिए इस नाम को बदलकर write protect करें। अब value data ऑप्शन के नीचे दिए बॉक्स में 0 को बदलकर 1 कर दें। रजिस्ट्री एडीटर को बंद करें। अब कोई भी आपके कंप्यूटर से डेटा पेन ड्राइव में कॉपी नहीं कर सकेगा। अगर आप इस पाबंदी को हटाना चाहें तो आखिरी चरण में 1 की जगह 0 लिखें, कॉपी होना दोबारा से शुरू हो जाएगा।
हार्ड डिस्क कंट्रोल
अगर आप अपने डेटा की सुरक्षा को और भी ज्यादा बढ़ाना चाहते हैं, तो अपनी किसी खास हार्ड डिस्क को दूसरों की नजरों से Hide कर सकते हैं। इसके लिए ग्रुप पॉलिसी एडीटर नामक विंडोज युटिलिटी की जरूरत होगी। इसे खोलने के लिए start > run पर जाएं और खुलने वाले बॉक्स में gpedit.msc लिखें। ग्रुप पॉलिसी एडीटर खुल जाएगा। इसमें लेफ्ट साइड पर दिए गए लिंक्स में पहले Se Configuration को क्लिक करें, फिर Administrative Templates/Windows Coponants/Windows explorer तक पहुंचें। अब राइट साइड के कॉलम में Hide these specified devices नामक ऑप्शन दिखेगा। इसे राइट क्लिक करके properties खोलें। यहां Enabled नामक रेडियो बटन पर क्लिक करें। नीचे की तरफ कुछ नए ऑप्शन खुलेंगे। इनमें सबसे पहले ऑप्शन restrict all devices को सिलेक्ट करके apply करने पर आपकी सभी ड्राइव (A, B, C, D आदि) हाइड हो जाएंगी। अगर ऐसा नहीं करना चाहते तो इन्हीं ऑप्शंस के जरिए किसी एक या एक-से-ज्यादा ड्राइव्स को हाइड कर सकते हैं।
अब वह ड्राइव my computer या windows explorer में दिखाई नहीं देगी। लेकिन इसकी एक सीमा है। ड्राइव को सिर्फ दिखाने से रोका गया है, इस्तेमाल से नहीं। हालांकि आमतौर पर जब कोई ड्राइव दिखाई नहीं देती, तो कोई उसे एक्सेस करने की कोशिश भी नहीं करता। लेकिन अगर कोई यूजर कमांड लाइन के जरिए उसका पाथ लिखता है, तो उसे ड्राइव के अंदर की सामग्री दिखाई दे जाएगी। वह उनका इस्तेमाल भी कर सकता है। ऐसा उन हालातों में ठीक है, जब आप खुद तो उस ड्राइव को इस्तेमाल करते रहना चाहते हैं लेकिन दूसरों को ऐसा करने से रोकना चाहते हैं।
अगर आप चाहते हैं कि ड्राइव के इस्तेमाल पर ही रोक लगा दी जाए तो Restrict access to drives from my computer ऑप्शन के साथ ऊपर बताए गए प्रोसेस को दोहराएं। अब उन्हें तब तक इस्तेमाल नहीं किया जा सकता जब तक कि आप दोबारा से पहले जैसी सेटिंग न कर दें। ऐसा करने के लिए दोबारा से गुप पॉलिसी एडीटर खोलें और संबंधित कमांड तक पहुंचकर properties में enabled की जगहNot configured को चुनें और aaply बटन दबाएं।
सीडी-डीवीडी कंट्रोल
गुप पॉलिसी एडीटर के जरिए ही सीडी-डीवीडी ड्राइव के इस्तेमाल पर भी रोक या उसे हाइड किया जा सकता है। पहले my computer में जाकर देखें कि आपकी सीडी-डीवीडी ड्राइव के लिए कौन-सा ड्राइव लैटर (D,E, F आदि) इस्तेमाल किया गया है। अब गुप पॉलिसी एडीटर में वही प्रोसेस दोहराएं जिसे पहले हार्ड ड्राइव के लिए इस्तेमाल किया था। यहां hide या Access restrict के लिए सीडी-डीवीडी ड्राइव के ड्राइव लैटर चुनें और apply करें।
अगर चाहते हैं कि कोई आपकी सीडी-डीवीडी ड्राइव को खोल ही न पाए (खासकर जब बच्चे उसे खोलते-बंद करते रहते हों) तो CD/DVD Drive नामक फ्री विंडोज यूटिलिटी का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे softbureau.com/download.html से डाउनलोड कर सकते हैं। डाउनलोड लिंक इस साइट पर सबसे नीचे दिखाई देगा। इसे इंस्टॉल करने के बाद आप अपनी इच्छा के अनुसार सीडी-डीवीडी ड्राइव को लॉक या अनलॉक कर सकते हैं। आपकी इजाजत के बिना ड्राइव का इस्तेमाल तो क्या, कोई उसे खोल तक नहीं सकेगा।
टाइम्सजॉब्स डॉट कॉम की एक स्टडी से पता चला हैकि किसी एक वैकेंसी के लिए एम्प्लॉयर के पास तकरीबन200 रेज्युमे आते हैं और किसी एक रेज्युमे पर शुरुआतीनजर डालने के लिए रिक्रूटर के पास महज 10-30 सेकंडहोते हैं। यानी , रिक्रूटर को इंप्रेस करने के लिए आपकेरेज्युमे के पास ज्यादा से ज्यादा सिर्फ आधा मिनट है। इसछोटे लम्हे में अपनी योग्यता साबित करने के लिए आपकारेज्युमे छोटा , आकर्षक और प्रभावशाली होना चाहिए।एक्सपर्ट्स से बात करके प्रभावशाली रेज्युमे बनाने केतरीके बता रहे हैं प्रभात गौड़ :
एक अच्छे रेज्युमे का यह गुण होता है कि वह आपकीगैरमौजूदगी में आपकी वकालत करे। आप जहां नहीं होते ,वहां वह आपकी तरफ से बोलता है , आपके करियर कीगति बताता है और अप्लाई की गई जॉब के लिए आपकोसबसे काबिल उम्मीदवार के तौर पर पेश करता है। जिनबातों से एक रेज्युमे प्रभावशाली बनता है , उन्हें जान लेनाचाहिए।
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नाम और कॉन्टैक्ट डिटेल्स
रेज्युमे बनाते वक्त लेफ्ट साइड में सबसे ऊपर नाम लिखना चाहिए और उसके ठीक नीचे अपनी ईमेल आईडीऔर उसके नीचे फोन नंबर। हो सके तो अपना कोई दूसरा फोन नंबर भी लिख दें , क्योंकि कई बार फोन पर हीइंटरव्यू आदि की सूचना दी जाती है। दरअसल , नाम के साथ आपके कॉन्टैक्ट डिटेल्स का जाना हमेशा फायदेमंदहोता है। कई लोग नाम के साथ मेल या फीमेल भी लिख देते हैं , जो बिल्कुल हास्यास्पद है , क्योंकि मोटे तौरपर नाम से ही जाहिर हो जाता है कि वह शख्स मेल है या फीमेल। ऐसा न करें।
ई - मेल आईडी बिल्कुल पर्सनल चीज है। हर शख्स आजाद है कोई भी ईमेल आईडी बनाने के लिए , लेकिनरेज्युमे में ऐसी आईडी का जिक्र न करें जो देखने में अजीब लगे। इससे एम्प्लॉयर पर खराब इंप्रेशन पड़ सकता है।मसलन अगर नितिन नाम का कोई शख्स अपने रेज्युमे में teesmarkhannitin@gmail.com याtoosmartnitin@gmail.com जैसी कोई आईडी लिखेगा तो आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि एम्प्लॉयरपर उसका कैसा असर होगा। आईडी बिल्कुल सादा होनी चाहिए। इसमें आपका पूरा नाम आ जाए तो बहुतअच्छा। नाम न भी आए तो भी आईडी में किसी ऐसे वैसे शब्द का इस्तेमाल न हो।
कॉरेस्पॉन्डेंस अड्रेस
टॉप राइट साइड में अपना कॉरेस्पॉन्डेंस अड्रेस दे सकते हैं। परमानेंट अड्रेस भी देना चाहिए , लेकिन उसकी जगहरेज्युमे में सबसे अंत में रखें , तो बेहतर है।
ऑब्जेक्टिव
ऑब्जेक्टिव को लेकर तमाम लोग कंफ्यूज रहते हैं कि इसे लिखा जाए या नहीं। अगर लिखा जाए तो कितना बड़ा।एक्सपर्ट्स की राय है कि ऑब्जेक्टिव को छोड़ा भी जा सकता है और आप सीधे एजुकेशन पर आ सकते हैं। कुछएम्प्लॉयर नाम पते के बाद एजुकेशन देखना चाहते हैं , लेकिन परंपरागत तरीके से अगर ऑब्जेक्टिव लिखना हीचाहते हैं तो ध्यान रहे कि यह छोटा , सादा और सीधा हो। कई लोग इसके तहत लंबी चौड़ी फिलॉसफी लिखमारते हैं और भाषा को कठिन बनाने में जान लगा देते हैं , जो गलत प्रैक्टिस है।
कई लोग ' मैं ' शैली में यह भी लिखते हैं कि उन्हें क्या चाहिए और वे क्या कर सकते हैं , लेकिन ऐसी बातों सेबचना चाहिए। साफ और कम शब्दों में यह बताएं कि आप कंपनी के लिए कैसे फायदेमंद हो सकते हैं। इसके लिएआप अपनी स्किल्स का हवाला दे सकते हैं। हो सके तो अपने वर्क एरिया से जुड़ी र्टम्स का इसमें इस्तेमाल करें।कुछ इस तरह आप इसे लिख सकते हैं।
Objective : To contribute strong ________ skills and experience to your organization in a _________ capacity.
एजुकेशन क्वॉलिफिकेशन
अब बात एजुकेशन क्वालिफिकेशन की। क्वॉलिफिकेशन बताते वक्त रिवर्स कोनोलॉजी का इस्तेमाल करना है।लेटेस्ट क्वॉलिफिकेशन सबसे पहले लिखें और फिर नीचे की तरफ बढ़ते जाएं। क्वॉलिफिकेशन लिखने का क्रम यहहो सकता है : डिग्री , यूनिवर्सिटी , शहर / राज्य , ईयर और सीजीपीए। इसके अलावा यह भी ध्यान रखें किअगर आपने पोस्ट ग्रैजुएशन किया है तो जाहिर है इंटर और हाई स्कूल तो किया ही होगा। इसलिए छोटी डिग्रियोंके बारे में लिखकर जगह वेस्ट न करें। इसका खराब इंप्रेशन भी जा सकता है। प्रफेशनल क्वॉलिफिकेशन के अलावापीजी और ग्रैजुएशन के बारे में बताना पर्याप्त है। इसे दिखाने के लिए हो सके तो टेबल बना सकते हैं , नहीं तोसिर्फ बुलेट के साथ भी ये सूचनाएं दी जा सकती हैं।
वर्तमान पद और एक्पीरियंस
टाइम्सजॉब्स डॉट कॉम से मिली जानकारी के मुताबिक , इसके बाद अपना वर्तमान पद और अनुभव के बारे मेंबताएं। कुल अनुभव सालों में बता सकते हैं। अनुभव बताते समय लोग जब से नौकरी शुरू की है , तब से लेकरअब तक की रामकहानी लिख मारते हैं। हो सकता है , वे सभी पोस्ट और काम आपके लिए महत्वपूर्ण रहे हों ,लेकिन आपके नए एम्प्लॉयर को इस सबसे कोई खास मतलब नहीं है। वह सबसे पहले आपके वर्तमान पद कीडिटेल्स जानना चाहता है। वह जानना चाहता है कि आपने पिछले ऑगेर्नाइजेशन में किस पद पर , कितने दिनऔर किस रोल में काम किया है। इसलिए अनुभव के बारे में बताते हुए रिवर्स क्रोनोलॉजिकल ऑर्डर का यूज करें।
जिस कंपनी में अभी काम कर रहे हैं , वह सबसे ऊपर , उसके बाद उससे पहले के अनुभवों का जिक्र करें। अगरकिसी को 15 साल का अनुभव है तो हर रोल और हर कंपनी का जिक्र करना जरूरी नहीं है। अभी क्या कर रहे हैंऔर इसके अलावा निभाये गए कुछ महत्वपूर्ण रोल और प्रॉजेक्ट्स का जिक्र कर सकते हैं। अपना अनुभव बतानेका सही क्रम यह हो सकता है : एम्प्लॉयर का नाम , टाइटल / पोजिशन , शहर / राज्य का नाम , कब से कबतक काम किया। अगर कभी आपको नौकरी से निकाला गया है तो अनुभव बताते हुए उस टाइम पीरियड को छोड़भी सकते है , लेकिन अगर यह समय ज्यादा है तो उसे दिखाया जाना चाहिए। इस समय के बारे में आप बतासकते हैं कि उस दौरान आपने एंटरपिन्योरशिप की।
स्किल्स और हॉबीज
स्किल्स की जहां तक बात है , तो बच्चों जैसी बातें लिखने से बचा जाना चाहिए। मसलन स्किल्स में अगर कोई यहलिखे कि उसे एमएस वर्ड या टाइपिंग आती या उसे कंप्यूटर की नॉलेज है , तो उसका एम्प्लॉयर पर कोईपॉजिटिव असर नहीं होगा , हां उसे हंसी जरूर आ सकती है। आई गिव 100 परसेंट , आई लाइक टु वर्क इनकॉम्पिटिटिव एन्वायरनमेंट और गुड कम्युनिकेशन स्क्ल्सि जैसे जुमलों का इस्तेमाल करना अव्वल दर्जे कीबेवकूफी है। ये रटे - रटाए जुमले हैं। इन्हें लिखने से बचा जाना चाहिए।
एक्स्ट्राकरिकुलर एक्टिविटीज , अचीवमेंट , हॉबी आदि का जिक्र कर सकते हैं , लेकिन पूरी सावधानी से। मसलनगाने का शौक है , कविताएं लिखना अच्छा लगता है या कुकिंग आती है जैसी हॉबीज का कोई मतलब नहीं है।अगर आप म्यूजिक इंडस्ट्री में अप्लाई कर रहे हैं तो गाने का शौक मायने रखता है लेकिन अगर आप मार्केटिंगजॉब के लिए जा रहे हैं तो एम्प्लॉयर को आपके सुरों से भला क्या लेना देना ! उसे तो कोई ऐसी हॉबी बताइएजिससे आपके एक्स्ट्रोवर्ट होने का सबूत मिलता हो।
पर्सनल सूचनाएं
रेज्युमे के सबसे अंत में आप अपने पिता का नाम , डेट ऑफ बर्थ , मैरिटल स्टेटस और अगर देना चाहें तोपरमानेंट अड्रेस भी दे सकते हैं। डेट ऑफ बर्थ बताते वक्त साथ में यह भी लिख दें कि वर्तमान में आप कितने सालके हैं। सिर्फ बर्थ ईयर से आपकी उम्र पता करने में कैलकुलेशन करनी होगी , जिसके लिए एम्प्लॉयर के पास वक्तनहीं होता। इसी तरह मैरिटल स्टेटस की जानकारी भी देनी चाहिए।
10 का दम
1. फॉन्ट और फॉन्ट साइज
फॉन्ट साइज और फॉन्ट के टाइप को लेकर कई बार कंफ्यूजन हो सकता है। इसके लिए याद रखें कि पूरे रेज्युमे मेंज्यादा से ज्यादा दो फॉन्ट का ही प्रयोग करना चाहिए। इंग्लिश के एरियल और टाइम्स रोमन फॉन्ट को यूज करसकते हैं। ये पढ़ने में आसान और साफ होते हैं। फॉन्ट साइज इतना हो कि आसानी से पढ़ने में आ जाए। इसे 11रख सकते हैं।
2. बोल्ड , अंडरलाइन , इटैलिक
शब्दों को बोल्ड , अंडरलाइन या इटैलिक जरूरत से ज्यादा न करें। वाइट स्पेस भरपूर हो। वाक्यों और सबहेड्सके बीच गैप भी ठीकठाक हो , जिससे पढ़ने में आसानी हो। बहुत ज्यादा गछे हुए रेज्युमे को कोई पढ़ना नहींचाहता। याद रखिए रेज्युमे पर एम्प्लॉयर सिर्फ 20 सेकंड के लिए पहली नजर डालते हैं। इस दौरान अगर उन्हेंपढ़ने में दिक्कत हुई या बोल्ड , इटैलिक के चक्कर में नजर नहीं जमीं , तो उन्हें आगे बढ़ते देर नहीं लगती।
3. रेज्युमे का साइज
एक बड़ा सवाल यह होता है कि रेज्यूमे का साइज कितना होना चाहिए ? देखा जाए तो यह आपकी इंडस्ट्री औरअनुभव पर निर्भर करता है। फिर भी मोटे तौर पर माना जाता है कि अगर आपका अनुभव पांच साल से कम हैतो एक पेज का और अनुभव पांच साल से ज्यादा होने पर दो पेज का रेज्यूमे बनाया जा सकता है। इससे बड़ारेज्युमे बनाने से बचना चाहिए। ध्यान रखें रेज्युमे आपका शोकेस है , जो आपके बारे में एम्प्लॉयर को बेसिकसूचनाएं देता है। आपके बारे में गहराई से जानने के लिए एम्प्लॉयर आपको इंटरव्यू के लिए बुलाएगा।
4. भाषा सीधी सपाट
पूरे रेज्युमे की भाषा सीधी - सपाट रखें। अब इन जनाब को देखिए , इन्होंने रेज्युमे में अपनी इंग्लिश भाषा कापूरा ज्ञान बघार दिया है - “Sir, I would hereby draw your esteemed attention to the way my talents are in tandem with your company’s long-term goals. याद रखें इतने घूमे हुए वाक्य होसकता है कि साहित्य में अच्छे लगें , लेकिन आपके एम्प्लॉयर को पसंद नहीं आएंगे। अपनी बात सीधे शब्दों मेंकहें।
5. ज्यादा ' मैं मैं ' नहीं
रेज्युमे में आई , माई , मी जैसे शब्दों का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल न करें।
मसलन , I overshot my target by 20 percent and I was given a special increment by the company. .
की बजाय ऐसे लिख सकते हैं Overshot the target by 20 percent and was given a special increment by the company. जो भी वाक्य लिखना है , प्रोनाउन ( I ) की बजाय वर्ब ( did, achieved )से लिखना शुरू करें।
6. रेफरेंस सिर्फ पूछने पर
रेज्युमे में रेफरेंस का जिक्र न करें , लेकिन ऐसे दो लोगों को तैयार जरूर रखें , जो उस कंपनी में काम करते होंऔर आपको अच्छी तरह जानते हों। जब जरूरत हो या आपसे पूछा जाए , तो इन लोगों के बारे में बताएं। अगररेज्युमे में लिखना ही चाहते हैं , तो दोनों नाम ऐसे हों , जो आपको अच्छी तरह से जानते हों। हल्की - फुल्कीजान - पहचान वालों के नाम इसमें न दें। साथ में फोन नंबर दे देना भी अच्छा होता है।
7. स्पेलिंग्स और पंक्चुएशन
स्पेलिंग संबंधी गलतियों से बचा जाना बेहद जरूरी है। इसके लिए ऐसे शब्द न लिखें , जिनसे आप परिचित नहींहै। रेज्युमे बनाते वक्त डिक्शनरी देखते चलें। स्पेल चेक का प्रयोग भी कर सकते है। आजकल की एसएमएस कीभाषा में हर शब्द का शॉर्ट फॉर्म चलन में है। ऐसे किसी भी प्रयोग से पूरी तरह बचें। शब्दों की स्पेलिंग पूरीलिखें।
इडियम्स , फ्रेज , मुहावरे , स्लैंग , जारगन आदि के प्रयोग से भी पूरी तरह बचना है। रेज्युमे फाइनल बना लेनेके बाद दो दोस्तों से उसकी प्रूफ रीडिंग जरूर करा लें। पंक्चुएशन का खास ध्यान रखें। हर सेन्टेंस के अंत में एकबार स्पेस दें। नया सेन्टेंस कैपिटल लेटर से शुरू करें। रेज्युमे में साइन ऑफ एक्सक्लेमेशन लगाने से बचें।
8. ग्रामर की गलतियां नहीं
ग्रामर के मामले में बहुत सावधान रहने की जरूरत है। जो आप आज कर रहे हैं , वह काम प्रजेंट टेंस में लिखें।मसलन do marketting जो काम पहले कर चुके हैं , उन्हें पास्ट टेंस में लिखें। मसलन did marketting सभीप्रॉपर नाउन ( किसी शख्स या शहर का नाम ) को कैपिटल में लिखें। नंबर लिखते वक्त नौ तक के सभी नंबरशब्दों में लिखें और 10 से आगे के नंबरों को अंकों में लिखें। तारीख का जिक्र करते हुए एक ही फॉरमैट काइस्तेमाल करें।
अगर 2 नवंबर , 2009 स्टाइल में डेट लिख रहे हैं तो पूरे रेज्युमे में हर जगह इसी स्टाइल में लिखें। इसकेअलावा , झूठ का सहारा न लें। जो भी सूचनाएं देनी हैं , सच - सच बताएं। हो सकता है आपको ऐसा लगे किगलत सूचनाएं पकड़ में नहीं आएंगी और बात चल जाएगी , लेकिन कई बार एम्प्लॉयर चीजों को वेरिफाई भीकर लेते हैं। इसलिए ऐसी प्रैक्टिस से बचें।
9. नो फोटो , नो पैकेज
रेज्युमे में फोटो का यूज नहीं करना चाहिए क्योंकि जिस स्टाइल में और जिस साइज में आप फोटो पेश करेंगे ,वह न तो क्वालिटी में अच्छा आएगा और न देखने में। जाहिर है इसका एम्प्लॉयर पर अच्छा इंप्रेशन नहीं पड़ेगा।वर्तमान सैलरी पैकेज के बारे में रेज्युमे में न बताएं। इस बारे में डिस्कशन इंटरव्यू के दौरान हो जाएगा।
10. प्रिंट की बात
रेज्युमे का प्रिंट हमेशा ए -4 साइज के वाइट पेपर पर ही लें। पेपर के एक ही साइड में लिखें। प्रिंटआउट अगरलेसर प्रिंटर से ले लें , तो और भी अच्छा है। कहीं भी हार्ड कॉपी देनी हो , तो रेज्युमे की फोटोकॉपी देने से बचें।हर बार फ्रेश प्रिंट निकालकर ही दें। समय - समय पर अपना रेज्युमे अपडेट करते रहें।