वेटरनेरी साइंस का अपने देश में क्या स्कोप है ?
रमेश शर्मा , बहादुरगढ़
देश में पशुओं की काफी बड़ी संख्या है जिनमें दुधारू पशुओं से लेकर अन्य प्रकार के पालतू पशु तक शामिल हैं। इनमें से अधिकतर अपने दूध व मांस के उत्पादनों के कारण महत्वपूर्ण माने जाते हैं , लेकिन इनके स्वास्थ्य की उचित देखभाल नहीं होने और इन्हें रोगों से बचाने की समुचित जानकारियों के अभाव में इनसे विश्व के अन्य देशों के स्तर पर प्रॉडक्शन नहीं हासिल किया जाता है। ऐसे में वेटरनेरी साइंस में ट्रेंड पशु चिकित्सकों का महत्व भारत जैसे विकासशील देश के लिए आसानी से समझा जा सकता है। एमबीबीएस और अन्य मेडिकल साइंस के कोर्सेज की तुलना में इन कोर्सेज में ऐडमिशन भी अपेक्षाकृत आसानी से मिल जाते हैं। 12वीं में बायोलॉजी सहित अन्य विज्ञान विषयों की बैकग्राउंड वाले युवा इसकी चयन परीक्षा में शामिल हो सकते हैं।
डिजाइनिंग
बारहवीं के बाद डिजाइनिंग के क्षेत्र में करियर बनाना चाहती हूं। इस बारे में मुझे जानकारी दें।
- रश्मि श्रीवास्तव , दिल्ली
डिजाइनिंग का क्षेत्र काफी विशाल है और शायद ही कोई ऐसा कार्यक्षेत्र हो जो इससे अछूता हो। छोटे से बड़े लगभग सभी प्रॉडक्ट को तैयार करने में डिजाइनर की अहम भूमिका होती है। कंज्यूमर की पसंद के अनुसार विभिन्न उत्पादों के डिजाइन तैयार करने और साथ ही उनमें सौंदर्यता और आकर्षण को बरकरार रखते हुए पैकिंग के डिजाइन विकसित करने का काम भी इन्हीं पर होता है। फैशन डिजाइनिंग से लेकर , जूलरी डिजाइनिंग ,फर्नीचर डिजाइनिंग , प्रॉडक्ट डिजाइनिंग , ग्राफिक्स डिजाइन आदि ना जाने कितने ही कार्यक्षेत्र हैं जिनमें आप करियर बना सकती हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (निफ्ट) सहित तमाम संस्थानों में इस तरह के कोर्सेज चलाए जाते हैं। प्राय: चार वर्षीय इन कोर्सेज में चयन परीक्षा के आधार पर ऐडमिशन दिए जाते हैं।
ह्यूमैनिटीज
दसवीं के बाद ह्यूमैनिटीज (कला) विषय की स्ट्रीम का चुनाव करना कितना सही कहा जा सकता है?
- नीरा पराशर , दिल्ली
आज के संदर्भ में यह कहना कतई गलत नहीं होगा कि सभी विषयों के जानकारों की उपयोगिता किसी ना किसी रूप में अवश्य है। संस्कृत और उर्दू से लेकर किसी भी भाषा या विषय का इस बारे में उल्लेख किया जा सकता है। इसीलिए ह्यूमैनिटीज से जुड़े जिआग्रफी , हिस्ट्री , सिविक्स , इकनॉमिक्स सहित समस्त विषयों के जानकारों के किए करियर के पर्याप्त अवसर विभिन्न प्रफेशंस और कार्यकलापों में आज भी बरकरार हैं। लेकिन सबसे आवश्यक यह है कि आप संबंधित विषय के अच्छे ज्ञाता हों। सिर्फ कामचलाऊ जानकारी के आधार पर बेहतरीन करियर बनाने के सपने देखने का कोई लाभ नहीं है।
इकोनोमिक्स ऑनर्स कर चुकी हूँ अब मुझे एम् बी ए करना चाहिए या एम् ए (इकोनोमिक्स ) के बारे में विचार करना चाहिए ?
प्रीति खंडेलवाल , दिल्ली
आप पहले यह तय कर लें कि आप कोर्पोरेट क्षेत्र में करियर बनाना चाहती हैं या एकेडेमिक्स के क्षेत्र में। कोर्पोरेट क्षेत्र की बात है तो आपको एम बी ए करने के बारे में सोचना चाहिए। एम ए (इकोनोमिक्स) अथवा एकेडमिक्स की बात करें तो आपके सामने यूनिवसिर्टी या कॉलेज में लेक्चररशिप का विकल्प हो सकता है। फ्यूचर की दष्टि से किसी को भी कम करके आंकना उचित नहीं होगा.
क्या सिर्फ विदेशी भाषा सीखकर भी करिअर बनाया जा सकता है ?
अभिनव , दिल्ली
ग्लोब्लाइजेशन के इस युग में विदेशी भाषा के जानकारों की मांग काफी तेजी से बढ़ी है। तमाम विदेशी कंपनियां अलग-अलग देशों में कारोबार को बढ़ा रही हैं। ऐसे में उनकी भाषा के जानकार स्थानीय युवाओं की मांग बढ़नी स्वाभाविक है। भारत में एफडीआई के मार्ग विदेशी संस्थानों के लिए 100 फीसदी खोलने की कवायद चल रही है। तब ऐसे जानकारों की जरूरत और बढ़ जाएगी। करियर की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रमुख विदेशी भाषाओं में जापानी , चीनी , जर्मन , फ्रेंच स्पैनिश आदि का नाम लिया जा सकता है , लेकिन यह ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि विदेशी भाषा का सर्टिफिकेट ही काफी नहीं है। भाषा पर पूरा अधिकार यानी बोलने , समझने और लिखने का समुचित ज्ञान भी जरूरी है।
जर्नलिज्म का कोर्स कर रहा हूं लेकिन प्रैक्टिकल ज्ञान नहीं के बराबर है. मुझे क्या करना चाहिए ?
सौरभ जैन , दिल्ली
आमतौर से इस तरह की दिक्कत जर्नलिज्म (प्रिंट अथवा इलेक्ट्रोनिक )के छात्रों के सामने आती है.इसके समाधान के दो ही तरीके हो सकते हैं. पहला तो है किसी अखबार अथवा टीवी चैनल में इंटर्नशिप कर व्यवहारिक ज्ञान हासिल करना अथवा दूसरा तरीका है किसी मीडिया ट्रेनिंग सस्थान में क्रैश कोर्स कर इस कमी को पूरा किया जाये.खासतौर से इलेक्ट्रोनिक मीडिया में जाने के इच्छुक युवाओं के समक्ष यही समस्या आती है.चूंकि यूनिवसिर्टीज़ के कोसेर्स में सैद्धांतिक ज्ञान पर ही समस्त कोर्स आधारित होता है तो कोई भी संस्थान (खासतौर से इलेक्ट्रोनिक मीडिया) ऐसे छात्रों को इंटर्नशिप देने से कतराते हैं.
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