10 वीं क्लास का रिजल्ट अभी आया नहीं है लेकिन स्कूलोंने 11 वीं क्लास की पढ़ाई शुरू करवा दी है। इन दिनों स्कूलों मेंइस क्लास के लिए सब्जेक्ट्स तय करने का काम चल रहा है।ऐसे में स्टूडेंट्स को सब्जेक्ट्स का चुनाव करने में सावधानीबरतने की जरूरत है क्योंकि गलत कॉम्बिनेशन आगे की पढ़ाईमें दिक्कत पैदा कर सकता है। 11 वीं में सब्जेक्ट चुनते वक्त किनबातों का ध्यान रखना चाहिए , एक्सपर्ट्स से बात करके बतारहे हैं प्रभात गौड़ :
बोर्ड एग्जाम के बाद 11 वीं में ऐडमिशन के दौरान जब सब्जेक्टचुनने की बारी आती है , तो तीन मुख्य स्ट्रीम होती हैं। ये हैं -साइंस , कॉमर्स और आर्ट्स। स्ट्रीम कोई भी हो , स्टूडेंट्स कोकोई भी पांच सब्जेक्ट चुनने होते हैं। कई बार ज्यादा पर्सेंटेजलाने के लिए स्टूडेंट्स पांच के अलावा एक और सब्जेक्ट ले लेतेहैं।
साइंस स्ट्रीम : साइंस स्ट्रीम में जाने वाले स्टूडेंट्स को इंग्लिश , फिजिक्स और केमिस्ट्री अनिवार्य सब्जेक्ट के रूप में लेनेहोते हैं। इसके अलावा , उनके पास चॉइस होती है कि वे एक वोकेशनल सब्जेक्ट के साथ बायॉलजी चुन लें या एकवोकेशनल सब्जेक्ट के साथ मैथ्स लें। वे बिना वोकेशनल सब्जेक्ट के बायॉलजी और मैथ्स भी चुन सकते हैं। जिन स्टूडेंट्स नेयह तय कर लिया है कि उन्हें 12 वीं के बाद इंजिनियरिंग करनी है , उन्हें मैथ्स चुनना चाहिए। जो मेडिकल लाइन मेंजाना चाहते हैं , उन्हें बायॉलजी रखनी चाहिए। अगर किसी को बायोटेक्नॉलजी या नैनोटेक्नॉलजी जैसा कोई तकनीकीकोर्स करना है तो उसे फिजिक्स , केमिस्ट्री , मैथ्स और बायॉलजी का कॉम्बिनेशन लेना चाहिए।
कॉमर्स स्ट्रीम : कॉमर्स स्ट्रीम में जाने वाले स्टूडेंट्स को अकाउंट्स , बिजनेस स्टडीज , इंग्लिश , इकनॉमिक्स सब्जेक्ट पढ़नेहोते हैं। इसके अलावा मैथ्स ले सकते हैं और अगर मैथ्स लेना नहीं चाहते , तो इसकी जगह सोश्यॉलजी या साइकॉलजी मेंसे कोई एक सब्जेक्ट ले सकते हैं।
ह्यूमैनिटीज ( आर्ट्स ): इसमें कंपलसरी सब्जेक्ट हैं इंग्लिश और एक सेकंड लैंग्वेज जैसे फ्रेंच , संस्कृत या हिंदी।ऑप्शनल सब्जेक्ट में शामिल हैं : पॉलिटिकल साइंस , सोश्यॉलजी , ज्यॉग्रफी , साइकॉलजी , इकनॉमिक्स , हिस्ट्री आदि।
- पांचवें सब्जेक्ट का चुनाव करते वक्त स्टूडेंट्स काफी एक्स्पेरिमेंट भी करते हैं। जैसे साइंस स्ट्रीम वाले इकनॉमिक्स यासाइकॉलजी ले लेते हैं। आर्ट्स वाले मैथ्स , साइकॉलजी और इकनॉमिक्स ले लेते हैं।
- 11 वीं ही नहीं , किसी भी कोर्स में सब्जेक्ट चुनते वक्त एक नियम का ध्यान हमेशा रखना चाहिए। यह नियम है सब्जेक्टमें दिलचस्पी और स्टूडेंट की उसमें परफॉर्मेंस। जिस सब्जेक्ट में दिलचस्पी हो , उसे ही चुनें। कोई भी सब्जेक्ट दोस्तों यादूसरों की देखादेखी न चुनें। अगर किसी सब्जेक्ट में आप आगे की पढ़ाई करने या करियर बनाने को लेकर ज्यादा उत्सुकनहीं हैं , तो उस सब्जेक्ट को चुनने का कोई मतलब नहीं है।
- किसी भी कॉम्बिनेशन को चुनते वक्त आमतौर पर यह देखा जाता है कि इसे लेने से हमारे सामने कौन - से रास्ते खुल रहेहैं। यह देखना जितना महत्वपूर्ण है , उतना ही महत्वपूर्ण यह देखना भी है कि इस कॉम्बिनेशन को लेने से आपके कौन - सेरास्ते बंद हो जाएंगे।
- 11 वीं के बच्चे मोटे तौर पर यह फैसला नहीं कर पाते कि उन्हें आगे करना क्या है। किसी एक चीज को चुनना मुश्किलहो सकता है। ऐसे में बेहतर है कि अपनी पसंद के पांच ऑप्शन चुन लें और फिर ऐसे कॉम्बिनेशन लें जिनसे ये पांच रास्तेबंद न होते हों।
वोकेशनल सब्जेक्ट का चक्कर
- कुछ वोकेशनल स्ट्रीम भी होती हैं। वोकेशनल सब्जेक्ट नंबर तो दिलाते हैं , लेकिन डीयू में दाखिले में मुश्किल करते हैं।डीयू वोकेशनल सब्जेक्ट में सिर्फ एक सब्जेक्ट को बेस्ट फोर में शामिल करती है , इसलिए अगर आपको आगे वोकेशनलसब्जेक्ट की पढ़ाई नहीं करनी है तो 11 वीं में कम - से - कम वोकेशनल सब्जेक्ट रखें।
- 11 वीं में वोकेशनल सब्जेक्ट ज्यादा न रखें , नहीं तो ग्रैजुएशन पास या ऑनर्स कोर्स में दाखिला लेने में तकलीफ होगी।एक से ज्यादा वोकेशनल सब्जेक्ट तभी चुनें , जब आपको आगे वोकेशनल सब्जेक्ट में ऐडमिशन लेना हो। ऐसे स्टूडेंट्स केलिए डीयू का कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज है। ध्यान रहे , ऐकडेमिक कोर्स में ऐडमिशन लेते वक्त एक ही वोकेशनलकोर्स को बेस्ट फोर में शामिल किया जाता है।
- अगर आप ऑनर्स कोर्स में ऐडमिशन लेने जा रहे हैं तो वोकेशनल सब्जेक्ट को बेस्ट फोर में शामिल नहीं किया जाता।
लैंग्वेज का फेर
- अगर आपने कोई एक लैंग्वेज पढ़ी है तो उसे बेस्ट फोर में शामिल किया जा सकता है। अगर आपने कोई लैंग्वेज कोर याइलेक्टिव लेवल पर पढ़ी है , तो उसे बेस्ट फोर में शामिल किया जा सकता है। इसके अलावा , कोई और लैंग्वेज इलेक्टिवलेवल पर पढ़ी है और बेस्ट फोर में चाहते हैं तो इसकी भी इजाजत है। ऐसे में इसे ऐकडेमिक सब्जेक्ट मान लिया जाता है।
- साइंस स्ट्रीम में किसी भी कोर्स में ऐडमिशन चाहते हैं तो आपको इंग्लिश पढ़ी होनी चाहिए। साइंस की पूरी पढ़ाईइंग्लिश में है इसलिए उसके बिना काम नहीं चल सकता।
साइंस वालों के लिए
- कई स्टूडेंट्स साइंस के साथ इकनॉमिक्स ले लेते हैं। उन्हें लगता है कि इंजिनियरिंग के बाद जब वे मैनेजमेंट की पढ़ाईकरेंगे तो उसमें इकनॉमिक्स की पढ़ाई उनके काम आएगी , लेकिन ऐसा होता नहीं है क्योंकि 12 वीं में इकनॉमिक्स मेंकाफी बेसिक पढ़ाई होती है , जो मैनेजमेंट के दौरान बहुत ज्यादा काम नहीं आती। हां , अगर मैथ्स और इकनॉमिक्स साथ- साथ लिए जाएं तो यह अच्छा कॉम्बिनेशन है।
- साइंस स्ट्रीम के बच्चे साइंस के अलावा कॉमर्स और आर्ट्स में जा सकते हैं , कॉमर्स स्ट्रीम वाले कॉमर्स के अलावा आर्ट्स मेंजा सकते हैं। लेकिन यह बात भी है कि साइंस के बच्चे अगर कॉमर्स में जाएंगे तो उन्हें कॉमर्स वालों से ज्यादा मार्क्स कीजरूरत होगी।
- साइंस के स्टूडेंट हैं और आपने इकनॉमिक्स या साइकॉलजी पढ़ी है तो आपको बीए ऑनर्स इकनॉमिक्स और बीए ऑनर्ससाइकॉलजी में प्रेफरेंस मिलेगा , लेकिन शर्त वही है कि बारहवीं में मैथ्स जरूर पढ़ा हो।
- कंप्यूटर साइंस में अगर कोई कोर्स करना चाहते हैं और आपने मैथ्स व इंग्लिश नहीं पढ़ी है , तो नहीं कर सकते। कंप्यूटरसाइंस में उन स्टूडेंट्स को ऐडमिशन मिल सकता है , जिन्होंने भले ही आर्ट्स रखी हो , लेकिन उनके पास मैथ्स औरइंग्लिश सब्जेक्ट रहे हों।
- बीएससी ऑनर्स ( मैथ्स , स्टैट और कंप्यूटर साइंस ) में दाखिला तीनों स्ट्रीम के बच्चे ले सकते हैं , बशर्ते उन्होंने 12 वीं मेंमैथ्स और इंग्लिश पढ़ी हो।
कॉमर्स वालों के लिए
- आमतौर पर स्टूडेंट्स कॉमर्स और मैथ्स साथ में नहीं लेते। यह एक बड़ी गलती है। दरअसल , कॉमर्स का आधार मैथ्स हीहै इसलिए जो स्टूडेंट्स 11 वीं में कॉमर्स स्ट्रीम चुन रहे हैं , उन्हें मैथ्स जरूर लेना चाहिए। जो बच्चे मैथ्स में कमजोर हैं ,उन्हें कॉमर्स स्ट्रीम से बचना चाहिए।
- 12 वीं के बाद जो स्टूडेंट्स कोई भी ऑनर्स कोर्स करना चाहते हैं , उन्होंने अगर उस कोर्स से संबंधित सब्जेक्ट पढ़े हैं , तोफायदा होगा। अगर कोई पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स करना चाहता है और उसने 12 वीं में पॉलिटिकल साइंस पढ़ी है तोउसे ऐडमिशन के वक्त कटऑफ में दो से चार फीसदी की छूट मिल सकती है।
- बीकॉम ऑनर्स करना चाहते हैं , तो 12 वीं में मैथ्स कंपल्सरी है। मैथ्स नहीं पढ़ा है तो बीकॉम ऑनर्स में ऐडमिशन नहींमिलेगा। इकनॉमिक्स ऑनर्स के लिए भी मैथ्स जरूरी है।
महत्वपूर्ण है मैथ्स
- अगर आप 12 वीं के बाद डीयू के ऐकडेमिक कोर्स में एडमिशन चाहते हैं तो 12 वीं में मैथ्स एक महत्वपूर्ण सब्जेक्ट है।जहां एक तरफ सिर्फ मैथ्स का न होना आपके लिए कई दरवाजे बंद कर सकता है , वहीं मैथ्स पढ़ने से आपके लिए कईऔर रास्ते खुल सकते हैं।
- डीयू में कई ऐसे कोर्स हैं , जिनमें मैथ्स कंपल्सरी है। मैथ्स नहीं है तो इनमें ऐडमिशन नहीं मिलता। ये कोर्स हैं : बीएससी( कंप्यूटर साइंस , मैथ्स , स्टैट ), बीबीएस , बीएफआईए , बीबीई , बीए ऑनर्स इकनॉमिक्स , बीकॉम ऑनर्स ( चुनिंदाकॉलेजों को छोड़कर ) ।
- जिन स्टूडेंट्स ने 11 वीं में ही यह तय कर लिया है कि उन्हें 12 वीं के बाद इकनॉमिक्स ( ऑनर्स ) या बीकॉम ( ऑनर्स )करना है , उन्हें 11 वीं में मैथ्स जरूर रखना चाहिए। डीयू का इकनॉमिक्स ऑनर्स कोर्स मैथ्स ओरिएंटेड है। अगर मैथ्सनहीं पढ़ा है तो इसे पूरा नहीं कर सकते।
- कई मामलों में बच्चे थोड़ी स्मार्टनेस भी दिखाते हैं। मसलन कोई बच्चा पायलट बनना चाहता है , लेकिन उसका मैथ्सकमजोर है। ऐसे में वह 11 वीं में मैथ्स को छठे एक्स्ट्रा सब्जेक्ट के तौर पर रख सकता है। पायलट बनने के लिए 12 वीं मेंमैथ्स का होना जरूरी है। ऐसे में यह स्टूडेंट पायलट बनने के रास्ते पर आगे बढ़ सकता है , क्योंकि इस बात से कोई फर्कनहीं पड़ता कि मैथ्स छठे सब्जेक्ट के तौर पर रखा गया है।
स्ट्रीम चेंज करनी हो गर ...
- 12 वीं के बाद स्ट्रीम में बदलाव करने वाले स्टूडेंट्स को कटऑफ में नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में 11 वीं में ही यहतय कर लेना चाहिए कि आपको आगे की पढ़ाई किस स्ट्रीम में करनी है और उसी के आधार पर सब्जेक्ट्स का चुनावकरना चाहिए। मान लीजिए किसी के पास 12 वीं में कॉमर्स है और डीयू में ऐडमिशन के लिए वह आर्ट्स में ऐडमिशनचाहता है तो उसकी कटऑफ में कटौती हो जाएगी।
- वैसे कुछ मामलों में स्ट्रीम चेंज करने से फायदा भी हो जाता है। मसलन इकनॉमिक्स ऑनर्स में साइंस के स्टूडेंट्स कोफायदा मिल जाता है , बशर्ते उन्होंने 12 वीं में साइंस के साथ मैथ्स या इकनॉमिक्स भी पढ़ी हो।
- 11 वीं में आपने जो सब्जेक्ट चुने हैं , अगर उन्हें समझने में आपको दिक्कत आ रही है या आपको लगता है कि आपनेगलत कॉम्बिनेशन का चुनाव कर लिया है तो आप सब्जेक्ट बदल भी सकते हैं। आमतौर पर सेशन शुरू होने के पहले दो -तीन महीने तक स्कूल ऐसा करने की इजाजत दे देते हैं।
एक्सपर्ट्स पैनल
डॉक्टर गुरप्रीत सिंह टुटेजा , डिप्टी डीन , स्टूडेंट्स वेलफेयर , डीयू
परवीन मल्होत्रा , करियर काउंसलर
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