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Thursday, May 12, 2011

80 सी के तहत इन निवेशों पर मिलती है टैक्स छूट

बचत की आदत को बढ़ावा देने के लिए सरकार आयकर कानून की धारा 80 सी के तहत कुछ वित्तीय उत्पादों पर कर

छूट देती है। इसके तहत आपको एक लाख रुपए तक के निवेश पर कर बचाने में मदद मिलती है। अगर आप 30 फीसदी के सबसे ऊपरी टैक्स दायरे में आते हैं, तो आप 30,000 रुपए तक टैक्स बचा सकते हैं। हम आपको 80 सी के इन्हीं विकल्पों के बारे में बता रहे हैं।

पीएफ और वीपीएफ: आपके वेतन से प्रॉविडेंट फंड (पीएफ) के पैसे काटे जाते हैं। आपकी कंपनी भी इसमें बराबर का योगदान करती है। जहां कंपनी के योगदान को कर दायरे से बाहर रखा गया है, वहीं आपके योगदान को 80 सी के तहत निवेश माना जाता है। आप इसके अलावा भी स्वैच्छिक पीएफ (वीपीएफ) निवेश कर सकते हैं। साल 2010-11 के लिए ईपीएफओ ने 9.5 फीसदी की दर से रिटर्न घोषित किया है। इसके साथ ही इस पर मिलने वाला ब्याज भी कर मुक्त होता है।

पीपीएफ: आप किसी राष्ट्रीयकृत बैंक या पोस्ट ऑफिस में पब्लिक प्रॉविडेंट फंड का एकाउंट खोल सकते हैं। इस पर आपको 8 फीसदी की दर से ब्याज मिलता है, जो कर मुक्त होता है। इस निवेश की मैच्योरिटी की अवधि 15 साल है। इसमें कम से कम 500 रुपए का निवेश करना जरूरी है और अधिकतम 70,000 रुपए तक निवेश किया जा सकता है।

एनएससी: नेशनल सेविंग सटिर्फिकेट (एनएससी) में छह साल की अवधि के लिए निवेश किया जा सकता है। इस पर 8 फीसदी की दर से ब्याज मिलता है, जिसकी गणना छमाही आधार पर की जाती है। हर साल जुड़ने वाले ब्याज पर कर चुकाने की जरूरत होती है, लेकिन ब्याज को भी दोबारा निवेश माना जाता है और इस तरह इस पर भी टैक्स से छूट मिल जाती है।

ईएलएसएस: इक्विट लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड हैं। ईएलएसएस की रकम शेयरों में निवेश की जाती है, लिहाजा इस पर रिटर्न की गारंटी नहीं होती है। निवेश के लिए तीन साल की लॉक-इन अवधि है।

जीवन बीमा प्रीमियम: आप अपने, अपनी पत्नी या बच्चों के जीवन बीमा के लिए जो प्रीमियम भरते हैं, उस पर भी टैक्स छूट मिलती है। अगर आप एक से ज्यादा बीमा पॉलिसी के लिए प्रीमियम चुका रहे हैं, तब भी सबके प्रीमियम टैक्स छूट के लिए जोड़े जा सकते हैं। इसके अलावा जीवन बीमा के साथ इनवेस्टमेंट के फायदे देने वाले यूलिप पर भी टैक्स छूट मिलती है।

होम लोन: आपके होम लोन ईएमआई में दो चीजें शामिल होती हैं- मूल रकम और ब्याज। लोन की मूल रकम पर सेक्शन 80 सी के तहत कर छूट मिलती है।

स्टांप ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन चार्ज: घर खरीदते और इसकी रजिस्ट्री कराते समय आप जो रकम चुकाते हैं, उस पर भी टैक्स छूट मांगी जा सकती है। हालांकि, यह सिर्फ घर खरीदने वाले साल में हासिल की जा सकती है।

फिक्स्ड डिपॉजिट : अनुसूचित बैंकों में पांच साल की अवधि वाले फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) पर भी टैक्स छूट मिलती है।

अन्य: बच्चों की पढ़ाई पर किए जाने खर्च के लिए भी सेक्शन 80 सी के तहत कर छूट मांगी जा सकती है। हालांकि, आपको इसके दावे के लिए रसीद की जरूरत होती है।

Source: http://hindi.economictimes.indiatimes.com

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