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Wednesday, January 25, 2012

बड़े काम के गूगल क्रोम एड-ऑन

वेब ब्राउजर्स की दुनिया में मोजिला फायरफॉक्स और गूगल क्रोम के बीच एक प्रतिस्पर्धा चल रही है। यह प्रतिस्पर्धा यूजर्स के बीच सर्वाधिक पसंद किए जाने वाले ब्राउजर के खिताब को लेकर है। इस होड़ में बढ़त बनाने के लिए गूगल क्रोम ने कुछ एड-ऑन पेश किए हैं, जो उस पर ब्राउजिंग को और सरल बनाते हैं। इनकी मदद से ब्राउजिंग करते हुए कई दूसरे कामों को भी अंजाम दिया जा सकता है। आइए जानते हैं इनके बारे में।


स्टेफोक्स्ड : इंटरनेट पर काम करते हुए बात जब उत्पादकता की आती है तो अक्सर हम ही अपने सबसे बड़े दुश्मन साबित होते हैं। यानी फिजूल की वेबसाइट देखने में ही अपना समय खपा देते हैं। इस आदत से छुटकारा पाने में मदद करेगा स्टेफोक्स्ड एड-ऑन। यह ब्राउजिंग के लिए एक समय तय कर देगा और जैसे ही आप उस निर्धारित समय सीमा को पार करेंगे, साइट अगले दिन तक के लिए ब्लॉक हो जाएगी। इस एड-ऑन को यूजर अपनी जरूरत के लिहाज से कस्टमाइज यानी सेट कर सकता है।


एवियारी : एवियारी एड-ऑन ब्राउजिंग के साथ ही फोटो एडिट करने की सुविधा देता है। ब्राउजिंग करते हुए फोटो पर राइट क्लिक करें। फिर एवियारी के कंटेक्स्ट मैन्यू में जाकर एडिट इमेज कमांड दें। इसके साथ ही फोटो एक नए विजेट में खुल जाएगी, जहां आप उसके कलर समेत अन्य तकनीकी पहलुओं के साथ छेड़-छाड़ कर सकते हैं।


सेशन मैनेजर : पहले के ब्राउजिंग सेशन से किसी वेबसाइट को खोजने से राहत देता है यह एड-ऑन। यह एक तरह से ब्राउजिंग की हिस्ट्री को सेशन के अनुरूप सहेज कर रखता है। इसकी मदद से आप सिलसिलेवार क्रम से साइट खोल सकते हैं।


टास्क फोर्स : यह एड-ऑन जीमेल के इनबॉक्स को केंद्रीय नर्व सेंटर में बदल देता है। यानी ई-मेल को टास्क में बदल उसके बारे में यूजर को बराबर अपडेट रखता है। इस तरह बार-बार पहले आए ई-मेल को खोल उसमें दिए निर्देशों को पढऩे से निजात मिल जाती है।


थिंग्स टू डू : यह प्राथमिकता के आधार पर किए जाने वाले कामों को सूचीबद्ध करता है। यह एड-ऑन टू डू लिस्ट में एडिटिंग और उन्हें डिलीट करने की सुविधा देता है। यही नहीं, इसके की-बोर्ड शॉर्टकट से नेवीगेशन भी सरल बनता है।


एडदिस : शेयरिंग के शौकीनों के लिए यह एड-ऑन बड़े काम का साबित होगा। ब्राउजर पर क्लिक कर इस बटन को जोड़ते ही यूजर 300 अलग-अलग वेबसाइट्स पर अपना कंटेंट शेयर कर सकता है। इसकी मदद से ट्वीट करते हुए ई-मेल या अन्य लिंक शेयर किए जा सकते हैं। वह भी बगैर वेब पेज को बदले हुए। यह अनुवाद की सुविधा भी देता है। इसके जरिए किसी विदेशी भाषा की साइट के कंटेंट का अपनी भाषा में अनुवाद किया जा सकता है।


फास्टेस्ट क्रोम : यह एड-ऑन नाम के अनुरूप वेबपेजों को तेज गति से लोड करने की सुविधा नहीं देता है। इसके बजाय यह कई ऐसे फीचर्स को इस्तेमाल करने की सुविधा देता है, जिससे ब्राउजिंग का काम जल्द निपट जाता है। उदाहरण के तौर पर यह अगला पेज अपने आप ही लोड कर लेता है। अगर पढ़े जा रहे पेज पर किसी शब्द या अंश को हाईलाइट किया जाता है, तो यह एक नई विंडो को खोल उस पर उसका अर्थ और संदर्भ पेश कर देता है।


स्पीकइट : इंटरनेट पर एक साथ कई कामों को अंजाम देने वालों के लिए यह बड़े काम का एड-ऑन है। इसे इंस्टॉल करने के बाद किसी टेक्स्ट को हाईलाइट करने पर यह उसे बोल कर सुनाता है। इस तरह यूजर दूसरे काम को निपटाते हुए अपनी पसंद की जानकारी भी कर सकता है।
source: Dainik Bhaskar.com 

Tuesday, January 24, 2012

कर चोरी करने वालों की अब खैर नहीं


इसके लिए आयकर विभाग का विशेष अभियान कल से
बचना मुश्किल 
बड़ी राशि के ट्रांजैक्शन करने वालों से इसके बारे में पुख्ता जानकारियां जुटाई जाएंगी
आयकर अधिकारी इन लोगों के परिसर जाकर उनकी आय के तमाम स्रोतों के बारे में कर सकते हैं पूछताछ भी
प्रॉपर्टी, वाहन, शेयरों व बांडों की खरीदारी करने और बैंकों-पोस्ट ऑफिस में एफडी कराने वालों पर है नजर

कर चोरी करने वालों की अब खैर नहीं है। आयकर विभाग ने इन पर शिकंजा कसने की पूरी तैयारी कर ली है। विभाग इसके लिए 20 जनवरी से एक विशेष अभियान शुरू करने जा रहा है। इसके तहत भारी-भरकम राशि के ट्रांजैक्शन करने वालों से इसके बारे में पुख्ता जानकारियां जुटाई जाएंगी। यही नहीं, जरूरत पडऩे पर आयकर अधिकारी इन लोगों के परिसर जाकर उनकी आय के तमाम स्रोतों के बारे में पूछताछ भी कर सकते हैं।


वित्त मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया है, 'केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर विभाग को 20 जनवरी से 20 मार्च तक विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया है। इस दौरान उन लोगों से भारी-भरकम राशि वाले सौदों का सत्यापन कराया जाएगा जिन्होंने या तो आयकर विभाग को समुचित जानकारी नहीं दी है या इस तरह के ट्रांजैक्शन करते वक्त अपनी स्थायी खाता संख्या (पैन) का जिक्र नहीं किया था।'


गौरतलब है कि भारी-भरकम राशि वाले सौदों में बड़े निवेश, बड़ी जमा राशि और विशाल खर्च रकम को भी शामिल किया गया है। आयकर विभाग की नजर जिन बड़े ट्रांजैक्शंस पर होगी उनमें किसी प्रॉपर्टी, वाहन, शेयरों व बांडों की खरीदारी और बैंकों तथा पोस्ट ऑफिस में फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) भी शामिल हैं।


विज्ञप्ति के मुताबिक इन करदाताओं से यह पूछा जाएगा कि काफी बड़ी राशि का निवेश करने अथवा उसे एफडी में डालने या उसे खर्च करने के लिए पैसा आखिरकार कहां से आया?

source: Dainik Bhaskar.com 

पीपीएफ, ईपीएफ व एनपीएस कर बचाने में मददगार


खूब फायदा 
ईपीएफ में न केवल जमा की जाने वाली एक लाख रुपये तक की राशि पर आयकर में कटौती का लाभ मिलता है, बल्कि इस पर मिलने वाला ब्याज भी होता है कर मुक्त
पीपीएफ के जरिए आप लंबे लक्ष्यों जैसे बच्चों की शादी और शिक्षा के लिए कर बचत का लाभ उठाते हुए कोष बना सकते हैं, यह परिपक्व होता है 16वें वर्ष में
एनपीएस एक ऐसी बचत योजना है जिसका उद्देश्य लोगों की रिटायरमेंट जरूरतों को पूरा करना है, इसमें जमा कराई जाने वाली एक लाख रुपये तक की राशि पर मिलता है आयकर में कटौती का लाभ

आयकर में बचत के बारे में सोचने वाले अधिकतर लोगों की चाहत यही होती है कि उनके पैसे सुरक्षित रहें, भले ही उन पर रिटर्न थोड़ा कम क्यों न मिले। कर बचत के लिए डेट के ऐसे ही विकल्पों में पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ), एंप्लाई प्रॉविडेंट फंड (ईपीएफ) और नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) शामिल हैं। लंबी अवधि की बचत वाले इन माध्यमों का इस्तेमाल आम तौर पर रिटायरमेंट के लिए कोष बनाने में किया जाता है। इन योजनाओं में जमा की जाने वाली एक लाख रुपये तक की राशि पर आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कर में कटौती का लाभ उठाया जा सकता है।


कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) : वर्तमान में ईपीएफ पर 9.5 फीसदी ब्याज दिया जा रहा है। अपनापैसा डॉट कॉम के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर बलवंत जैन कहते हैं कि न केवल इसमें जमा की जाने वाली एक लाख रुपये तक की राशि पर धारा 80सी के तहत आयकर में कटौती का लाभ मिलता है, बल्कि इस पर मिलने वाला ब्याज भी कर मुक्त होता है। साथ ही मैच्योरिटी पर मिलने वाली राशि भी कर-मुक्त हो रही है। 


विशेष जरूरतों जैसे बीमारी के इलाज, शादी-विवाह आदि के लिए आप ईपीएफ से पैसे की निकासी भी कर सकते हैं। बचत का यह विकल्प सबसे अधिक सुरक्षित है। साथ ही इससे आपको चक्रवृद्धि का भी लाभ मिलता है। अगर पति-पत्नी दोनों ही नौकरी करते हैं तो किसी एक का योगदान ईपीएफ में बढ़ाने का निर्णय उचित होगा क्योंकि यह विकल्प डेट पर सर्वाधिक रिटर्न देता है। इसकी ब्याज दरें समय-समय पर बदलती रहती हैं।


पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ) : लंबे लक्ष्यों जैसे बच्चों की शादी और शिक्षा के लिए आप कर बचत का लाभ उठाते हुए पीपीएफ के जरिए कोष बना सकते हैं। यह 16वें वर्ष में परिपक्व होता है। इसमें अब आप अधिकतम सालाना एक लाख रुपये का निवेश कर सकते हैं। वर्तमान में पीपीएफ पर सालाना 8.6 फीसदी का कर मुक्त ब्याज दिया जा रहा है। इसकी ब्याज दरें दीर्घावधि के सरकारी बांड पर यील्ड के साथ जोड़ दी गई हैं। इसलिए, अब इसकी ब्याज दरें प्रत्येक वर्ष बदलती रह सकती हैं।


पीपीएफ से परिपक्वता पर मिलने वाली राशि भी कर-मुक्त होती है। पीपीएफ खाता भारतीय स्टेट बैंक या उसके सहयोगी बैंकों के अतिरिक्त अन्य राष्ट्रीयकृत बैंकों और हेड पोस्ट ऑफिस, जनरल पोस्ट ऑफिस और ग्रेडेड पोस्ट ऑफिसों में खुलवाया जा सकता है। बैंकों की अपेक्षा डाक घर में पीपीएफ खाता खुलवाना ज्यादा बेहतर रहेगा क्योंकि बैंकों को इस खाते के रख-रखाव के लिए अतिरिक्त पैसे नहीं मिलते हैं।


नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) : एनपीएस दीर्घावधि की एक ऐसी बचत योजना है जिसका उद्देश्य लोगों की रिटायरमेंट जरूरतों को पूरा करना है। शुरुआत में यह केवल केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारियों के लिए ही उपलब्ध थी, लेकिन 1 मई 2009 से एनपीएस की सुविधा आम लोगों को भी उपलब्ध कराई जाने लगी है। टियर-1 खाते से निकासी परिपक्वता पर ही कराई जा सकती है, जबकि टियर-2 खाते का इस्तेमाल बचत खाते की तरह किया जा सकता है। गौर करने वाली बात है कि टियर-1 खाते पर आयकर छूट का लाभ मिलता है, जबकि टियर-2 खाते से आयकर में कोई लाभ नहीं मिलता है।

source: Dainik Bhaskar.com 

Monday, January 23, 2012

एफडी, इन्फ्रा बांड और होम लोन भी बचाते हैं कर


फायदा किस तरह से
आयकर अधिनियम की धारा 24 (बी) के तहत हाउसिंग लोन के ब्याज के पुनर्भुगतान पर 1,50,000 रुपये तक की कटौती है मान्य
धारा 80सी के तहत होम लोन के मूलधन भुगतान पर एक लाख रुपये तक की कर छूट मिलती है
धारा 80 सीसीएफ के तहत इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड में निवेश कर 20,000 रुपये की अतिरिक्त आयकर छूट का लाभ उठा सकते हैं आप

आयकर में बचत के लिए पिछले दिनों हमने प्रमुख रूप से धारा 80सी की चर्चा की। टैक्स सेविंग वाले बैंकों की फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी), जिनकी लॉक-इन अवधि पांच वर्षों की होती है, धारा 80सी के दायरे में ही आती है। मौजूदा समय में आप 9.25 फीसदी तक ब्याज इस तरह की एफडी पर पा सकते हैं।

आर्क फाइनेंशियल प्लानर के सीईओ और सर्टिफायड फाइनेंशियल प्लानर हेमंत बेनीवाल कहते हैं कि कर बचत का यह विकल्प उन निवेशकों के लिए अच्छा है जिनका लक्ष्य अल्पावधि का है या जो इक्विटी से जुड़े निवेश विकल्पों का जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं। न्यूनतम कर वर्ग में आने वाले निवेशकों के लिए भी यह विकल्प हो सकता है। गौर करने वाली बात यह है कि निवेश की जाने वाली राशि पर आयकर का लाभ मिलता है, लेकिन इन एफडी से प्राप्त होने वाले ब्याज पर कर लगता है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड्स : धारा 80 सीसीएफ के तहत इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड में निवेश कर आप 20,000 रुपये की अतिरिक्त आयकर छूट का लाभ उठा सकते हैं। हाल ही में कई कंपनियों के इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड लांच हुए थे। एल एंड टी, आईडीएफसी और श्रेई इन्फ्रा के लांग टर्म इन्फ्रा बांड्स इश्यू अब भी खुले हुए हैं। इन पर रिटर्न भी आकर्षक हैं। धारा 80सी के अलावा कर में कटौती के लाभ के वास्ते धारा 80सीसीएफ का लाभ उठाने के लिए इसमें 20,000 रुपये तक का निवेश किया जा सकता है।

होम लोन के मूलधन और ब्याज का भुगतान : धारा 80सी के तहत होम लोन के मूलधन भुगतान पर एक लाख रुपये तक की कर छूट मिलती है। इसका दावा करने के लिए आपको कर्जदाता से स्टेटमेंट लेना जरूरी होता है। आयकर अधिनियम की धारा 24 (बी) के तहत हाउसिंग लोन के ब्याज के पुनर्भुगतान पर 1,50,000 रुपये तक की कटौती मान्य है।

अपनापैसा डॉट कॉम के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर बलवंत जैन कहते हैं, हालांकि इस बारे में एक शर्त यह है कि घर का निर्माण या उस घर पर लोन लेने वाला व्यक्ति कर्ज लेने के तीन वर्षों के भीतर घर का पजेशन ले ले, अन्यथा ब्याज पर दी जाने वाली 1,50,000 रुपये तक की कटौती घटकर महज 30,000 रुपये रह जाएगी। अपने घर की मरम्मत, पुनर्निर्माण या विस्तार के लिए अगर आपने लोन लिया है तो आप धारा 24 (सी) के तहत ब्याज में कटौती के दावेदार होंगे। इसके अंतर्गत कटौती सीमा 1.5 लाख रुपये है।

धारा 24 (सी) और दूसरा घर: जैन कहते हैं कि अगर आप दो घरों के मालिक हैं, जिसमें से एक मकान को आपने किराये पर दे रखा है तो ऐसे में हाउसिंग लोन पर ब्याज में आयकर कटौती की कोई सीमा निर्धारित नहीं है।

आपके द्वारा ब्याज के तौर पर दी जाने वाली पूरी राशि भी कटौती के दायरे में आ सकती है। याद रखें, आपको अपनी कुल आय में उस मकान से मिलने वाले किराये की राशि को भी जोडऩा होगा। उस मकान के लिए मिलने वाले अनुमानित किराये की राशि को अपनी आय में दर्शाना होगा।
source: Dainik Bhaskar.com 

Sunday, January 22, 2012

इनकम टैक्‍स बचाने के 10 तरीके


इनकम टैक्स बचाने की प्‍लानिंग अगर आपने अभी तक नहीं की है तो अब ज्‍यादा वक्‍त नहीं बचा है। अब टैक्स प्लानिंग कर ही लें। इसके लिए कुछ निवेश करना होगा और अगर आप चाहें तो दान भी कर सकते हैं।

इनकम टैक्स कानून के मुताबकि टैक्स बचाने के लिए कुल निवेश एक लाख रुपए तक ही हो सकता है। यानी आप कितनी भी रकम कहीं भी लगाएं, टैक्स में छूट एक लाख रुपए तक के निवेश पर ही मिलेगी। याद रखिए भारत में हर इनकम के लिए टैक्स के स्लैब हैं और इनके अनुसार ही टैक्स लगता है लेकिन टैक्स में विभिन्न निवेशों के जरिये छूट की सीमा एक ही है। धारा 80 सी के तहत निवेशइनकम टैक्स कानून की धारा 80 सी के तहत छूट एक लाख रुपए तक के निवेश पर ही है।

टैक्‍स छूट के लिए निवेश का बेहतर तरीका है पब्लिक प्रॉविडेंट फंड यानी पीपीएफ। भारत सरकार के सभी निवेश विकल्पों में यह सबसे अच्छा माना जाता है और इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि आपको पैसे निकलते समय टैक्स नहीं देना पड़ता है। इसमें ब्याज की दर बहुत बढ़िया है यानी 8.6 प्रतिशत और इसमें पूरे एक लाख रुपए तक निवेश किया जा सकता है। 

इसके अलावा जीवन बीमा यानी लाइफ इंश्योरेंस के लिए भी दिए गए पैसे भी एक लाख रुपए की सीमा तक टैक्स छूट के हकदार हैं। पेंशन प्लानों के लिए दी गई रकम भी छूट की हकदार है। कर्मचारियों के लिए बनाई गई राष्ट्रीय पेंशन योजना में भी निवेश करके आप छूट के हकदार हो सकते हैं।

म्युचुअल फंडों के इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम यानी ईएलएसएस में निवेश भी टैक्स में छूट दिला सकते हैं। इसमें 3 साल का लॉक इन पीरियड होता है और यह डायरेक्ट टैक्स कोड लागू होने के बाद खत्म हो जाएगा। राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र यानी नेशनल सेविंग्स स्कीम में भी निवेश करके आप टैक्स में छूट पा सकते हैं। 


बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी के जरिये भी निवेश करके आप टैक्स में छूट पा सकते हैं। लेकिन याद रखिए यह एफडी कम से कम पांच साल की अवधि के लिए होनी चाहिए। 

हाउसिंग लोन को चुकाने में दिए गए मूल धन पर भी टैक्स में छूट मिलेगा। अगर आपने मकान की रजिस्‍ट्री कराई है तो उसमें भी टैक्स छूट है। बच्चों की शिक्षा और ट्यूशन फी पर दी गई रकम भी आपको टैक्स से बचाती है। लेकिन यह सिर्फ दो बच्चों तक ही लागू होती है। 

पोस्ट ऑफिस के जितने भी सेविंग्स स्कीम हैं उन सभी में पैसे लगाकर आप छूट के हकदार हो सकते हैं। धारा 80सीसीएफयह धारा कहती है कि अगर आपने मान्यता प्राप्त इन्फ्रास्ट्रक्चर बांडों में निवेश किया है तो आपको अधिकतम 30,000 रुपए तक इनकम टैक्स में छूट मिलेगी। धारा 80 डी, के तहत मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियमपर खर्च की गई 35,000 रुपए तक की रकम टैक्स में छूट की पात्र होगी। लेकिन यहां एक पेंच है। अपने आप पर खर्च की गई रकम में सिर्फ 15,000 रुपए पर ही टैक्स में छूट मिलेगी जबकि सीनियर सिटिजन्स के मेडीक्लेम के लिए दिए गए प्रीमियम पर 20,000 रुपए तक की छूट है। यानी अगर आप अपने माता-पिता का मेडिकल इंश्योरेंस कराते हैं तो उस रकम पर भी छूट मिलेगी।

मकान बनाने वालों को टैक्स छूट हाउसिंग के लिए लोन पर दिए गए ब्याज पर भी टैक्स में छूट है और आप इस मद में डेढ़ लाख रुपए तक की छूट पा सकते हैं। यह सभी तरह की छूट के अतिरिक्त है।

अगर आप इससे भी ज्यादा छूट चाहते हैं तो वह भी संभव है। यह संभव होगा ट्रस्ट या इस तरह की संस्थाओं कोदान देकर। यानी अगर आप किसी धार्मिक संस्थान मसलन इस्कॉन या चैरिटेबल संस्थान जैसे रामकृष्ण आश्रम को दान देते हैं तो इस पर भी आपको छूट मिलेगी। इसके अलावा गंभीर रोगों के इलाज में खर्च परइनकम टैक्स में छूट मिलती है। इसी तरह विकलांग व्यक्तियों को भी टैक्स में छूट मिलती है। इसके अलावा खिलाडियों, संगीतज्ञों, लेखकों वगैरह को भी इनकम टैक्स में छूट उपलब्ध है।

 

धारा 80सी के अतिरिक्त भी हैं कर-बचत के विकल्प

मैं 15 फरवरी से पहले आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कर बचत के लिए निवेश करना चाहता हूं। लेकिन मैं यह तय नहीं कर पा रहा कि किन विकल्पों का चयन करें। कर देनदारी घटाने के उपलब्ध विकल्पों के बारे में कृपया जानकारी दें। -रोहित, पानीपत


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धारा 80सी के तहत निवेश के विभिन्न विकल्प उपलब्ध हैं। जीवन बीमा के प्रीमियम का भुगतान, पब्लिक प्रोविडेंट फंड, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट, बैंकों के पांच साल वाले फिक्स्ड डिपॉजिट और इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम। इसके अलावा भी कई और विकल्प हैं जैसे बच्चे की स्कूल फीस। इसका लाभ आप तभी उठा सकते हैं जब आपका कोई बच्चा स्कूल जाता हो। हालांकि, इनमें से कई विकल्प आपके दीर्घावधि के लक्ष्यों को प्रभावित कर सकते हैं इसलिए कर-बचत की योजना दीर्घावधि के आर्थिक लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए बनानी चाहिए।

उदाहरण के तौर पर जीवन बीमा की खरीदारी बीमा संबंधी जरूरतों का विश्लेषण करने के बाद ही अपने परिवार की आर्थिक सुरक्षा के लिए ली जानी चाहिए। इसी तरह, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) में तभी निवेश करना चाहिए जब आप इसके जोखिम-रिटर्न को समझते हों क्योंकि यह शेयरों में निवेश करते हैं।

अगर आप कर-बचत के लिए जल्दबाजी में निवेश कर रहे हैं तो आपको बैंकों का फिक्स्ड डिपॉजिट (पांच वर्ष वाले) या नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट में निवेश करें क्योंकि ऐसे में आपके पास नियमित योगदान करने का वक्त नहीं होता है। भविष्य में प्रत्येक वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ ही कर-बचत की योजना पर काम शुरू कर दें। इससे आपको अतिरिक्त राशि का आवंटन प्रभावी तरीके से करने में मदद मिलेगी जो आर्थिक लक्ष्यों की प्राप्ति में भी सहायक साबित होगा।

धारा 80सी के अतिरिक्त आप धारा 80सीसीएफ के तहत लांग टर्म इंफ्रास्ट्रक्चर बांडों में 20,000 रुपये तक का निवेश कर आयकर में छूट का लाभ पा सकते हैं। इसके अतिरिक्त अपने और माता-पिता के मेडिक्लेम के प्रीमियम के भुगतान पर भी आप धारा 80डी के तहत 40,000 रुपये तक की कटौती का लाभ उठा सकते हैं। लेकिन, कवर पर्याप्त लें ताकि यह आपकी प्राथमिक जरूरत- मेडिकल इमरजेंसी के उद्देश्यों को पूरा करता हो।

मैं शादी-शुदा हूं और अगले दो सालों में पिता बनने की प्लानिंग कर रहा हूं। क्या कोई ऐसी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी है जो मैटरनिटी के साथ-साथ उसके पहले और बाद में होने वाले खर्चों को कवर करता हो?  -राजवीर सिंह, चंडीगढ़
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अधिकांश मामलों में गर्भावस्था के दौरान होने वाले मेडिकल खर्चों को तभी कवर किया जाता है जब पॉलिसी चार-छह साल से लगातार जारी हो। हालांकि, समय के साथ कुछ कंपनियों ने अपने नये प्रोडक्ट में इस समय-सीमा में थोड़ी कटौती की है। प्रोडक्ट जैसे स्टार हेल्थ की वेडिंग गिफ्ट पॉलिसी एक बच्चे के लिए गर्भावस्था के दौरान होने वाले खर्च को कवर करता है लेकिन शर्त यह है कि आप चार साल की पॉलिसी लें।

इसी तरह मैक्स बुपा की कुछ पॉलिसियां हैं जों गर्भावस्था के खर्च के अलावा एक साल तक बच्चे के टीकाकरण के खर्च को भी कवर करती है। हालांकि, यह लाभ तभी मिल पाता है जब पॉलिसी दो साल से जारी हो और इस तरह के प्रोडक्ट के प्रीमियम भी अधिक हो सकते हैं। अपनी जरूरतों को देखते हुए उपयुक्त प्रोडक्ट का चयन करें। हालांकि, इन सभी प्रोडक्ट की अपनी सीमा है इसलिए मेरी सलाह होगी कि अलग से इसके लिए बचत करें ताकि खर्च के घटने-बढऩे पर कोई परेशानी न हो।

मैंने कुछ वर्ष पहले एक म्यूचुअल फंड में निवेश किया था। उस समय एनएवी 56 रुपये था। लेकिन अब एनएवी घट कर 50.23 रुपये रह गया है। कृपया सलाह दें कि मुझे क्या करना चाहिए?  -कमलेश, इंदौर
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एक इक्विटी म्यूचुअल फंड के पोर्टफोलियो में विभिन्न सेक्टर के कई शेयर शामिल होते हैं और एनएवी या शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य में इन शेयरों के प्रदर्शन के हिसाब से उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। आपके स्कीम के साथ भी ऐसा ही हुआ है। लेकिन एनएवी के आधार पर किसी म्यूचुअल फंड योजना का अच्छा या बुरा होना तय नहीं किया जा सकता।

किसी भी अच्छे डाइवर्सिफायड पोर्टफोलियो में, स्कीम शेयर बाजार के विभिन्न सेक्टरों में इस तरह निवेश करता है कि किसी खास सेक्टर के बुरे प्रदर्शन की भरपाई दूसरे सेक्टर के अच्छे प्रदर्शन से हो जाती है। हालांकि, अगर किसी कारणवश शेयर बाजार का प्रदर्शन ही बुरा होता है तो अच्छे फंडों के एनएवी भी प्रभावित हुए बिना नहीं रहते।

इसके अलावा गौर करने वाली बात यह भी है कि शेयर बाजार में निवेश का लाभ आपको तभी
बेहतर मिलता है जब आप दीर्घावधि के लिए निवेशित रहते हैं। इस दौरान एनएवी में कई बार उतार-चढ़ाव आ सकते हैं लेकिन दीर्घावधि में यह औसत हो जाता है। इसलिए अपने फंड का विश£ेषण आपको विभिन्न मानदंडों के आधार पर करना चाहिए जैसे पोर्टफोलियो कंपोजिशन, जोखिम और रिटर्न का अनुपात, फंड के खर्चे और पोर्टफोलियो में फेरबदल आदि।


इस विधि से आप फंड की अंतर्निहित नीति की जानकारी पा सकेंगे जिससे सह संकेत मिलेगा कि फंड का प्रदर्शन दीर्घावधि में कैसा रहेगा। फंड में निवेश बनाए रखने या उसे बेचने का निर्णय भी आप इस आधार पर ले सकते हैं।

समाधान :- जितेंद्र सोलंकी, सर्टिफायड फाइनेंशियल प्लानर, जे. एस. फाइनेंशियल प्लानर्स, दिल्ली
source: Dainik Bhaskar.com 

Saturday, January 21, 2012

आपकी हैंडराइटिंग डिसाइड करती है कि आपको जॉब मिलेगी या नहीं!


नागपुर. व्यक्तित्व को पहचानना हो, या अपराधी को ढूंढ़ना हो, इसके लिए हस्ताक्षर के साथ हैंडराइटिंग बहुत अधिक मायने रखती है। हैंडराइटिंग व हस्ताक्षर व्यक्तित्व की झलक होते हंै। महात्मा गांधी को भी पूरे जीवन भर हैंडराइटिंग अच्छी नहीं होने का अफसोस रहा। जॉब पर भी हैंडराइटिंग व हस्ताक्षर का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है।

रूतबे में भी हैंडराइटिंग व हस्ताक्षर का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। कुछ लोग हैंडराइटिंग सुधारने की क्लासेस भी लेते हंै, जिससे 10 से 15 दिनों के अंतर्गत आकर्षक लिखावट बना कर व्यक्तित्व को निखारा जा सकता है। आर्थिक अपराधों में खोजबीन के लिए हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की बहुत अधिक जरूरत पड़ती है।

ग्राफोलॉजी शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। ग्राफोग्रीक शब्द है, जिसका अर्थ है लिखावट या राइटिंग और लॉजीशब्द का अर्थ है विज्ञान की शाखा। सिगनेचरका अर्थ है साइन ऑफ नेचर। अक्षर व हस्ताक्षर बदलकर व सुधारकर आप कई प्रकार से लाभान्वित हो सकते हैं।

यह ग्राफो थैरेपी कहलाता है। अक्षर व साइन सही कर व्यक्तित्व के जरिए आप अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को भी कम कर सकते हैं। करियर में भी तरक्की पा सकते हैं। आजकल कई बड़ी कंपनियों अपने यहां ग्राफोलॉजिस्ट रखती है। ग्राफोलॉजिस्ट कर्मचारियों की लिखावट विश्लेषित करके मैंनेजमेंट को सुझाव देते हंै। ये सुझाव संस्था के लाभ को बढ़ाने में सहायक होते हंै।

कैसी हो हस्ताक्षर : 1. साइन अधिक लंबे व सुस्पष्ट हो। 2. आप हिंदी में हस्ताक्षर करें या अंग्रेजी में, हस्ताक्षर का पहला अक्षर आकार में सबसे बड़ा, अलग व कलात्मक होना चाहिए। 3. जितनी लंबी साइन, उतनी ही बराबर लंबी व समांतर लाइन साइन के नीचे अवश्य खिंचना चाहिए। 4. साइन करने के बाद या अंत में अनावश्यक (.) बिंदी या (-) मायनस न लगाएं। हस्ताक्षर के नीचे अंडर लाइन करते हंै, तो नीचे एक (.) बिंदी की जगह दो बिंदियां (.) लगाए। इन्हें दो चक्के मना जाता है। यह गुड लक समझा जाता है।

5.
साइन के नीचे राइट का चिन्ह लगाना चाहिए। 6 . शॉर्ट लेटर में जैसे A. A. Ar4ड्ड इस प्रकार से नहीं करना चाहिए। 7. अपना नाम और सरनेम पूरा लिखना अच्छा माना जाता है। 8 . ब्लैक पेन से हस्ताक्षर करें। 9. कैपिटल लेटर में लिखना अच्छा। 10. साइन के पहले अक्षर को गोल न करें। हस्ताक्षर में बहुत बड़ा गोल नहीं होना चाहिए। 11.कभी भी जल्दबाजी में साइन न करें।

कैसी हो लिखावट : 1. नीचे बैठ कर दो तकिया अपने आगे रख कर उस पर लकड़ी का सपाट पाटा रखें। 2. लिखते समय हमेशा हाथ का एंगल 90 डिग्री हो। कॉपी का पोजिशन सीधा हो और शरीर सीधा रखे। 3. टेबल पर लिखते समय आंखों और टेबल में एक फुट का अंतर होना चाहिए। 4. टेबल स्ट्रेट होना चाहिए। पुराने जमाने में दिवानजी की जो पेटी होती थी, वह अगर हो तो बहुत अच्छा होता है। 5. डेक्स और बेंच के बीच आधे फुट का अंतर अवश्य होना चाहिए। यह अंतर नहीं होने पर पीठ, सर, गर्दन व पैर में दर्द देने जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। 6. इंक पेन का उपयोग करना चाहिए। काली स्याही से लिखना चाहिए। ज्ञानेश्वरी व दासबोध भी काली स्याही से लिखी हुई है। 7. इंक पेन का उपयोग करते समय माऊथ का सर्कल पेंसिल के जितना होना चाहिए।

कैसे पकडं़े पेन : 1. पेन को अंगूठे और सुकांक के मध्य रख कर मध्य उंगली को पेन के नीचे रखें। 2.उंगलियों को सीधा रखे। 3.लिखते समय उंगलियों को अधिक बेंड नहीं करना चाहिए। 4.उंगलियों पर दबाव नहीं देना चाहिए। इससे हाथ में दर्द होता है और पसीना आता है। 5.पेन पर थोड़ा दबाव देकर लिखना चाहिए। 6 .परीक्षा में तेज गति से लिखना पड़ता है, ऐसे में जो लिखा जा रहा है वह इंस्ट्रुमेंट अच्छा होना चाहिए।

हस्ताक्षर से होती है व्यक्तित्व की पहचान : जो स्पष्ट रूप से अपना नाम लिखते हंै, वे लोग सीधे स्वभाव के होते हंै। जिनकी साइन आर्टिस्टिक शो करती है वे आर्टिस्ट स्वभाव के होते हंै। पूरे अक्षर कैपिटल लेटर में लिखने वाले लोग जिद्दी व समझोता नहीं करने वाले होते हंै।

जो शॉर्ट साइन करते हंै, वे आलसी स्वभाव के होने की संभावना और जल्दबाजी में निर्णय लेने वाले होते हंै। जो बोल्ड लेटर में लिखते हंै उनका स्वभाव सीधा और सोबर होता है ऐसा माना जाता है। बारीक लिखावट वाले स्लो और निर्णय विंलब से लेने वाले होते हंै। जिनके हस्ताक्षर सुदंर होते हैं उन्हें सफलता तो मिलती ही है, साथ ही स्वभाव भी अच्छा होता है।

लाइन के ऊपर लिखने वाले एक्स्ट्राऑडनरी रहते हंै। कुछ हट कर रहने की चाह इनमें होती है। इनमें कॉनफिडेंस बहुत होने के साथ हार्डवर्कि ग भी होते हंै। जिनकी लाइन टूटी रहती है, वे आधे अधूरे काम करने वाले रहते हैं ऐसा समझा जाता है। जो अक्षर के ऊपर लाइन नहीं देते है, उनमें कॉनफिडेंस की कमी होती है।
 Sourc: Bhaskar.com