नागपुर. व्यक्तित्व को पहचानना हो, या अपराधी को ढूंढ़ना हो, इसके लिए हस्ताक्षर के साथ हैंडराइटिंग बहुत अधिक मायने रखती है। हैंडराइटिंग व हस्ताक्षर व्यक्तित्व की झलक होते हंै। महात्मा गांधी को भी पूरे जीवन भर हैंडराइटिंग अच्छी नहीं होने का अफसोस रहा। जॉब पर भी हैंडराइटिंग व हस्ताक्षर का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है।
रूतबे में भी हैंडराइटिंग व हस्ताक्षर का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। कुछ लोग हैंडराइटिंग सुधारने की क्लासेस भी लेते हंै, जिससे 10 से 15 दिनों के अंतर्गत आकर्षक लिखावट बना कर व्यक्तित्व को निखारा जा सकता है। आर्थिक अपराधों में खोजबीन के लिए हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की बहुत अधिक जरूरत पड़ती है।
ग्राफोलॉजी शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। ‘ग्राफो’ ग्रीक शब्द है, जिसका अर्थ है लिखावट या राइटिंग और ‘लॉजी’ शब्द का अर्थ है विज्ञान की शाखा। ‘सिगनेचर’ का अर्थ है साइन ऑफ नेचर। अक्षर व हस्ताक्षर बदलकर व सुधारकर आप कई प्रकार से लाभान्वित हो सकते हैं।
यह ग्राफो थैरेपी कहलाता है। अक्षर व साइन सही कर व्यक्तित्व के जरिए आप अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को भी कम कर सकते हैं। करियर में भी तरक्की पा सकते हैं। आजकल कई बड़ी कंपनियों अपने यहां ग्राफोलॉजिस्ट रखती है। ग्राफोलॉजिस्ट कर्मचारियों की लिखावट विश्लेषित करके मैंनेजमेंट को सुझाव देते हंै। ये सुझाव संस्था के लाभ को बढ़ाने में सहायक होते हंै।
कैसी हो हस्ताक्षर : 1. साइन अधिक लंबे व सुस्पष्ट हो। 2. आप हिंदी में हस्ताक्षर करें या अंग्रेजी में, हस्ताक्षर का पहला अक्षर आकार में सबसे बड़ा, अलग व कलात्मक होना चाहिए। 3. जितनी लंबी साइन, उतनी ही बराबर लंबी व समांतर लाइन साइन के नीचे अवश्य खिंचना चाहिए। 4. साइन करने के बाद या अंत में अनावश्यक (.) बिंदी या (-) मायनस न लगाएं। हस्ताक्षर के नीचे अंडर लाइन करते हंै, तो नीचे एक (.) बिंदी की जगह दो बिंदियां (.) लगाए। इन्हें दो चक्के मना जाता है। यह गुड लक समझा जाता है।
5. साइन के नीचे राइट का चिन्ह लगाना चाहिए। 6 . शॉर्ट लेटर में जैसे A. A. Ar4ड्ड इस प्रकार से नहीं करना चाहिए। 7. अपना नाम और सरनेम पूरा लिखना अच्छा माना जाता है। 8 . ब्लैक पेन से हस्ताक्षर करें। 9. कैपिटल लेटर में लिखना अच्छा। 10. साइन के पहले अक्षर को गोल न करें। हस्ताक्षर में बहुत बड़ा गोल नहीं होना चाहिए। 11.कभी भी जल्दबाजी में साइन न करें।
कैसी हो लिखावट : 1. नीचे बैठ कर दो तकिया अपने आगे रख कर उस पर लकड़ी का सपाट पाटा रखें। 2. लिखते समय हमेशा हाथ का एंगल 90 डिग्री हो। कॉपी का पोजिशन सीधा हो और शरीर सीधा रखे। 3. टेबल पर लिखते समय आंखों और टेबल में एक फुट का अंतर होना चाहिए। 4. टेबल स्ट्रेट होना चाहिए। पुराने जमाने में दिवानजी की जो पेटी होती थी, वह अगर हो तो बहुत अच्छा होता है। 5. डेक्स और बेंच के बीच आधे फुट का अंतर अवश्य होना चाहिए। यह अंतर नहीं होने पर पीठ, सर, गर्दन व पैर में दर्द देने जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। 6. इंक पेन का उपयोग करना चाहिए। काली स्याही से लिखना चाहिए। ज्ञानेश्वरी व दासबोध भी काली स्याही से लिखी हुई है। 7. इंक पेन का उपयोग करते समय माऊथ का सर्कल पेंसिल के जितना होना चाहिए।
कैसे पकडं़े पेन : 1. पेन को अंगूठे और सुकांक के मध्य रख कर मध्य उंगली को पेन के नीचे रखें। 2.उंगलियों को सीधा रखे। 3.लिखते समय उंगलियों को अधिक बेंड नहीं करना चाहिए। 4.उंगलियों पर दबाव नहीं देना चाहिए। इससे हाथ में दर्द होता है और पसीना आता है। 5.पेन पर थोड़ा दबाव देकर लिखना चाहिए। 6 .परीक्षा में तेज गति से लिखना पड़ता है, ऐसे में जो लिखा जा रहा है वह इंस्ट्रुमेंट अच्छा होना चाहिए।
हस्ताक्षर से होती है व्यक्तित्व की पहचान : जो स्पष्ट रूप से अपना नाम लिखते हंै, वे लोग सीधे स्वभाव के होते हंै। जिनकी साइन आर्टिस्टिक शो करती है वे आर्टिस्ट स्वभाव के होते हंै। पूरे अक्षर कैपिटल लेटर में लिखने वाले लोग जिद्दी व समझोता नहीं करने वाले होते हंै।
जो शॉर्ट साइन करते हंै, वे आलसी स्वभाव के होने की संभावना और जल्दबाजी में निर्णय लेने वाले होते हंै। जो बोल्ड लेटर में लिखते हंै उनका स्वभाव सीधा और सोबर होता है ऐसा माना जाता है। बारीक लिखावट वाले स्लो और निर्णय विंलब से लेने वाले होते हंै। जिनके हस्ताक्षर सुदंर होते हैं उन्हें सफलता तो मिलती ही है, साथ ही स्वभाव भी अच्छा होता है।
लाइन के ऊपर लिखने वाले एक्स्ट्राऑडनरी रहते हंै। कुछ हट कर रहने की चाह इनमें होती है। इनमें कॉनफिडेंस बहुत होने के साथ हार्डवर्कि ग भी होते हंै। जिनकी लाइन टूटी रहती है, वे आधे अधूरे काम करने वाले रहते हैं ऐसा समझा जाता है। जो अक्षर के ऊपर लाइन नहीं देते है, उनमें कॉनफिडेंस की कमी होती है।
रूतबे में भी हैंडराइटिंग व हस्ताक्षर का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। कुछ लोग हैंडराइटिंग सुधारने की क्लासेस भी लेते हंै, जिससे 10 से 15 दिनों के अंतर्गत आकर्षक लिखावट बना कर व्यक्तित्व को निखारा जा सकता है। आर्थिक अपराधों में खोजबीन के लिए हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की बहुत अधिक जरूरत पड़ती है।
ग्राफोलॉजी शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। ‘ग्राफो’ ग्रीक शब्द है, जिसका अर्थ है लिखावट या राइटिंग और ‘लॉजी’ शब्द का अर्थ है विज्ञान की शाखा। ‘सिगनेचर’ का अर्थ है साइन ऑफ नेचर। अक्षर व हस्ताक्षर बदलकर व सुधारकर आप कई प्रकार से लाभान्वित हो सकते हैं।
यह ग्राफो थैरेपी कहलाता है। अक्षर व साइन सही कर व्यक्तित्व के जरिए आप अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को भी कम कर सकते हैं। करियर में भी तरक्की पा सकते हैं। आजकल कई बड़ी कंपनियों अपने यहां ग्राफोलॉजिस्ट रखती है। ग्राफोलॉजिस्ट कर्मचारियों की लिखावट विश्लेषित करके मैंनेजमेंट को सुझाव देते हंै। ये सुझाव संस्था के लाभ को बढ़ाने में सहायक होते हंै।
कैसी हो हस्ताक्षर : 1. साइन अधिक लंबे व सुस्पष्ट हो। 2. आप हिंदी में हस्ताक्षर करें या अंग्रेजी में, हस्ताक्षर का पहला अक्षर आकार में सबसे बड़ा, अलग व कलात्मक होना चाहिए। 3. जितनी लंबी साइन, उतनी ही बराबर लंबी व समांतर लाइन साइन के नीचे अवश्य खिंचना चाहिए। 4. साइन करने के बाद या अंत में अनावश्यक (.) बिंदी या (-) मायनस न लगाएं। हस्ताक्षर के नीचे अंडर लाइन करते हंै, तो नीचे एक (.) बिंदी की जगह दो बिंदियां (.) लगाए। इन्हें दो चक्के मना जाता है। यह गुड लक समझा जाता है।
5. साइन के नीचे राइट का चिन्ह लगाना चाहिए। 6 . शॉर्ट लेटर में जैसे A. A. Ar4ड्ड इस प्रकार से नहीं करना चाहिए। 7. अपना नाम और सरनेम पूरा लिखना अच्छा माना जाता है। 8 . ब्लैक पेन से हस्ताक्षर करें। 9. कैपिटल लेटर में लिखना अच्छा। 10. साइन के पहले अक्षर को गोल न करें। हस्ताक्षर में बहुत बड़ा गोल नहीं होना चाहिए। 11.कभी भी जल्दबाजी में साइन न करें।
कैसी हो लिखावट : 1. नीचे बैठ कर दो तकिया अपने आगे रख कर उस पर लकड़ी का सपाट पाटा रखें। 2. लिखते समय हमेशा हाथ का एंगल 90 डिग्री हो। कॉपी का पोजिशन सीधा हो और शरीर सीधा रखे। 3. टेबल पर लिखते समय आंखों और टेबल में एक फुट का अंतर होना चाहिए। 4. टेबल स्ट्रेट होना चाहिए। पुराने जमाने में दिवानजी की जो पेटी होती थी, वह अगर हो तो बहुत अच्छा होता है। 5. डेक्स और बेंच के बीच आधे फुट का अंतर अवश्य होना चाहिए। यह अंतर नहीं होने पर पीठ, सर, गर्दन व पैर में दर्द देने जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। 6. इंक पेन का उपयोग करना चाहिए। काली स्याही से लिखना चाहिए। ज्ञानेश्वरी व दासबोध भी काली स्याही से लिखी हुई है। 7. इंक पेन का उपयोग करते समय माऊथ का सर्कल पेंसिल के जितना होना चाहिए।
कैसे पकडं़े पेन : 1. पेन को अंगूठे और सुकांक के मध्य रख कर मध्य उंगली को पेन के नीचे रखें। 2.उंगलियों को सीधा रखे। 3.लिखते समय उंगलियों को अधिक बेंड नहीं करना चाहिए। 4.उंगलियों पर दबाव नहीं देना चाहिए। इससे हाथ में दर्द होता है और पसीना आता है। 5.पेन पर थोड़ा दबाव देकर लिखना चाहिए। 6 .परीक्षा में तेज गति से लिखना पड़ता है, ऐसे में जो लिखा जा रहा है वह इंस्ट्रुमेंट अच्छा होना चाहिए।
हस्ताक्षर से होती है व्यक्तित्व की पहचान : जो स्पष्ट रूप से अपना नाम लिखते हंै, वे लोग सीधे स्वभाव के होते हंै। जिनकी साइन आर्टिस्टिक शो करती है वे आर्टिस्ट स्वभाव के होते हंै। पूरे अक्षर कैपिटल लेटर में लिखने वाले लोग जिद्दी व समझोता नहीं करने वाले होते हंै।
जो शॉर्ट साइन करते हंै, वे आलसी स्वभाव के होने की संभावना और जल्दबाजी में निर्णय लेने वाले होते हंै। जो बोल्ड लेटर में लिखते हंै उनका स्वभाव सीधा और सोबर होता है ऐसा माना जाता है। बारीक लिखावट वाले स्लो और निर्णय विंलब से लेने वाले होते हंै। जिनके हस्ताक्षर सुदंर होते हैं उन्हें सफलता तो मिलती ही है, साथ ही स्वभाव भी अच्छा होता है।
लाइन के ऊपर लिखने वाले एक्स्ट्राऑडनरी रहते हंै। कुछ हट कर रहने की चाह इनमें होती है। इनमें कॉनफिडेंस बहुत होने के साथ हार्डवर्कि ग भी होते हंै। जिनकी लाइन टूटी रहती है, वे आधे अधूरे काम करने वाले रहते हैं ऐसा समझा जाता है। जो अक्षर के ऊपर लाइन नहीं देते है, उनमें कॉनफिडेंस की कमी होती है।
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